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सिद्धि प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य है--पुरुषार्थ की आहूति.

ईश्वर सिर्फ जीवन देता है , जो एक न्याय है, सजा या कुछ और

पिताजी मैं फिर से फेल हो गया

समस्त विश्व की चिंता टूल-किट में क़ैद है. षड्यंत्रों के जाल में फँसी अपनी एक एक साँस को तड़फड़ाती..

प्रारब्ध अर्थात दुर्भाग्य? ईश्वर बेनक़ाब !

१२वें घर से आज़ादी

मिल्खा रुक जा!

यह डाइवर्सिटी क्या बला है ? बहरूपिया

लज़्ज़ानिवारण के लिए मखमली आवरण

प्राथमिकताएं निर्धारित हैं..

दूसरी ज़मात