Monday, November 29, 2021

बिखर गए तो रेत , ढल गए तो बुत !

 

कितनी पोस्टमार्टम की जाए अपनी कुंडली और किस्मत की. साली घूम घूम कर अपनी काली शक्ल दिखाने आ जाती है. कभी भी हो, जवानी से अब बुढ़ापे तक इसकी यही कहानी रही है, ज़िन्दगी हराम करते रहो।  

हर बार इसी बात का अहसास करने की कोशिश की है इसने कि मेरा वक़्त ख़त्म हो गया है. अब बेकार की कोशिश कर रहा हूँ मैं, मेरे लिए कोई काम किसी जगह नहीं बचा है. डटे रहे तो फिर कुछ मिला पर अब बस झूठ की आस बची है. 

पढ़ते रहो, फौजियों की तरह तैयारी करते रहो पर बात नहीं बनती. हज़ारों जगह अप्लाई कर करते रहो , ऐसे कितने ही ब्लॉग पिछले ५ सालों में लिख चुका , साली किस्मत है कि समझती ही नहीं. कब ख़त्म होगी इसकी शरारतें। . कितना कर्मा बचा है अब तक तो ख़त्म हो जाना चाहिए था। 

एक ही शब्द है जो बार बार लौटता है, फ़्रस्ट्रेशन, निराशा , इंतज़ार, बेचैनियां जो कब ख़त्म होंगी कह नहीं सकता. 

समय ठीक तो लग रहा है पर मौका नहीं मिल रहा. हाथ में आकर मौका निकल गया, डेट आ गया जोइनिंग नहीं हुई, बार बार यही कहानी।

चलो ऐसा होता रहता है, कोई नयी बात नहीं  है. जेल  जमानत बेल परोल   बस यही कहानी है अपनी. और इसके ऊपर ही एक गुमनाम कहानी बनेगी, किताब भी. 


शायद यह सब इसलिए हो रहा है ताकि मैं , अपना रास्ता बदल दूँ. और उस रास्ते मैं चल पड़ा हूँ.. आगे इसे मज़बूती से करता जाऊँगा।  

इस धरती पर हर पल ये जंग है, हमेशा लड़ते रहना और जीतने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. 

शत्रु सिर्फ वह नहीं है यहां जो खंज़र लिए खड़ा है, बल्कि वे सब हैं , जैसे गरीबी, बीमारी, मज़बूरी, लाचारी, बदकिश्मती,  पक्षपात, अन्याय,  और पता नहीं क्या क्या। .. 

तो इसलिए भाई, बंधू, दीदी, माताजी, बच्चे , लड़ाई ख़त्म नहीं होती... लड़ते रहो.. 

बिखर गए तो रेत , ढल गए तो बुत ! 

Tuesday, November 16, 2021

सिद्धि प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य है--पुरुषार्थ की आहूति.

महीने का राशिफल, साप्ताहिक राशिफल, ग्रह गोचर, नक्षत्र गोचर, ग्रहण , मार्गी और वक्री, इतना कुछ है भविष्यफल में. यूट्यूब पर कितने वीडियोस देख कर अब यह समझ आया है कि , स्वयं या मित्र राशि में गोचर तो अच्छा , मित्र या स्वयं के नक्षत्र में गोचर तो अच्छा, दुस्थान में गोचर तो मुश्किल, गोचर में युति का अपना ही असर। . सीधे फार्मूले से चलें तो आसान है भविष्यफल कह देना , लगभग हर घर के कारकत्व १० से ५० तरीके के हैं, उसी तरह ग्रहों के भी कारकत्व हैं, फिर गोचर के बाद दृष्टि का भी कथन, वहाँ भी वही हिसाब। .पर होता है क्या ऐसा कुछ?





नहीं, यह तुक्का है. दशा सर्वोपरि है. वैसे आप कहेंगे, गोचर से ही तो ढैया और साढ़े साती है। . बात सही है, पर क्या ढैया और साढ़े साती कोई सामान प्रभाव देते हैं ? नहीं. यहां  भी दशा महत्वपूर्ण है. 

अगर कुंडली मज़बूत है तो सब आंधी पानी से बेअसर , पर कुंडली कमज़ोर है तो ऊँट पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट जाता है। 

अब भाई हमने ३ तरह की बात कर ली; पहली गोचर, दूसरी दशा और तीसरी कुंडली की शक्ति। 

मुझे लगता है, इन तीन स्थितियों के अलावा जो बात फर्क ला सकती है वह है सन्यास या फिर किसी रिश्ते में फंस जाना। . अब क्या यह सब कुंडली में लिखा नहीं होता? होता होगा पर , आप भी कई बार ऐसा करते हैं जो कुंडली को चैलेंज करती सी लगती है. पर वह क्षणिक होता है , इसका परिणाम भी क्षणिक ही होगा , यह क्षणिक भाग्य भाग्य नहीं बदलता. भाग्य यदि बदलता ये संवारता है तो वह सेवा से , सच्चे गुरु की सेवा से , उनकी कृपा से। . 

अभी मैं डाक्टर नारायण दत्त श्रीमाली जी के कुछ पुराने वीडियो यूट्यूब पर देख रहा था. 


उन्होंने तंत्र, मंत्र और यन्त्र पर १५० से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. हिंदी के प्राध्यापक रहे, संपूर्ण विश्वा में इसकी सिक्षा दीक्षा दी. हज़ारों साधकों को इनकी शक्ति और प्रभाव से परिचित कराया. 

उनकी अपनी ज़िन्दगी भी एक महान परिवर्तन की कथा है, मज़बूरी, दरिद्रता से मुक्त होने की और संपूर्ण समृद्धि प्राप्त करने की , और इन सभी परिवर्तन के पीछे उन्होंने शक्ति /काली/छिन्नमस्ता देवी की साधना को प्रभावी बताया है. 

सिद्धि हर मनुस्य का लक्ष्य होना चाहिए।  हनुमान चालीसा में हम यह कहते हैं, "अस्ट सिद्धि नव निधि के दाता , असवर दीन जानकी माता  ".. तो हम किन सिद्धियों की बात कर रहे होते हैं? (शास्त्रों में बताया गया है कि माता सीता ने हनुमानजी को आठ सिद्धियों और नव निधियों का वरदान दिया था..)

८ सिद्धियां हैं; --अणिमा , महिमा, लघिमा, गरिमा तथा प्राप्ति प्राकाम्य इशित्व और वशित्व ये सिद्धियां "अष्टसिद्धि" कहलाती हैं।

इनके अलावा हम सभी ने दस महा विधाएँ सुन रखी हैं. वे क्या हैं? 

The 10 Mahavidyas are काली  Kali, तारा  Tara,त्रिपुर सुंदरी   Tripura Sundari (Shodoshi), भुवनेश्वरी  Bhuvaneshvari, त्रिपुर भैरवी  Tripura Bhairavi, छिन्नमस्ता  Chhinnamasta,धूमावती  Dhumavati, बगलामुखी  Bagalamukhi,मातंगी  Matangi and कमला  Kamala

साधना सीखने के लिए एक सिद्ध गुरु के दर्शन और आशीर्वाद की आवश्यकता रहेगी।  

सिद्धि प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य है -यह उपाय नहीं पुरुषार्थ की आहूति है. आइये साधना मार्ग पर चलते हैं. 



Saturday, November 13, 2021

ईश्वर सिर्फ जीवन देता है , जो एक न्याय है, सजा या कुछ और

 ज्योतिष समाधान का विषय नहीं है. समाधान यदि कहीं है तो वह एक सिद्ध गुरु या सिद्ध आशीर्वाद से ही मिल सकता है. दूसरा तरीका है पीड़ित स्वंम सिद्ध हो जाए। .


अरुणा शानबाग की कहानी सब को मालूम है. इसको कहते हैं प्रारब्ध। .फाइनल वर्डिक्ट यही है.. कोई अपील नहीं हो सकती। 

प्रारब्ध है ३ रॉबिंसन स्ट्रीट कोलकाता और मौतों का समुंदर एक २५ करोड़ की आलीशान कोठी में।  अभिशप्त जीवन, दुर्भायपूर्ण , दर्दनाक मौत , जो उन्होंने स्वयं चुनी 

जीवन का इस बवंडर में नेस्तनाबूत हो जाना 
राम को भी रावण पर विजय शक्ति -दुर्गा -काली-चंडी  ने ही  दिया था। . बस यही एक रास्ता बचता है, अगर प्रारब्ध आपको पल पल लील रहा हो. बचे न बचे पर मरे तो चंडी के ध्यान में. 
कई लोग आपको जीवन में मिलेंगे जिन्होंने आप पर अनंत कृपा की होगी, सभी के लिए आप कृतज्ञं होंगे , परन्तु जब आपकी बारी आएगी उस कृपा का क़र्ज़ चुकाने की तो प्रारब्ध आपको लज्जित करेगा। . सामर्थ्य सब कुछ नहीं है, कृपा सबसे ऊपर है. 
कुछ लोग आपके बुरे कर्मों की सजा देने मात्र के लिए ही यहां भेजे गए हैं, वे आपको आपका पाप धोने में मदद करते हैं. मेरे अनुभव में वे सभी आपके शुभचिंतक हैं. आपको उनका आभारी होना चाहिए. 
ईश्वर सिर्फ जीवन देता है , जो एक फ़ैसला है, शायद न्याय नहीं , और फिर आपको वापस समाप्त भी कर देता है. 
बीच में बचा  है वह अनमोल समय जिसे हम जीवन कहते हैं. बुद्ध ने इसे इसे दुक्ख कहा है. 
दुःख से निकलने का मार्ग है दुःख को जीने की कला . सीख ही लेते हैं लोग. 
बीच में ज्योतिष कुछ भ्रम में आपको रख सकता है. मैं भी इस भ्रम में जीता, जागता रहता हूँ. 
अगर यह भटकाव है तो फिर बुरा ही क्या है ?




Wednesday, November 3, 2021

पिताजी मैं फिर से फेल हो गया

 (याद है , सेण्टर फ्रेश 

का विज्ञापन?) -पिताजी मैं फिर से फेल हो गया ?


बधाई हो विराट को, शास्त्रीजी को , टीम ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया इनके नेतृत्व में, 

२०११ के बाद, पिछले १० साल में , इनके छत्रछाया में, भारत कोई भी विश्व कप नहीं जीता. 

पाकिस्तान और न्यू जी लैण्ड  से हार एक राहु काल में घटित घटना जैसी है. वैसी ही जैसी हम ३६ रन पर इंग्लैंड में सारे आउट हो गए थे , पर फिर भी २-१ से टूर्नामेंट जीते। .. इस टीम का ऐसा ही कुछ पनोती चल रहा है. जबकि सितारे भरे हैं. अफगानिस्तान, स्कॉटलैंड और नामीबिया को हराकर जख्म भरने में मलहम काम कर रहा है. 
होता है , खेल है, अब बांग्लादेश को ही देख लीजिये, इतनी भी ख़राब टीम नहीं है. पर वक्त ख़राब है. 


रवि शास्त्री को कोई नहीं ढूँढ रहा.. जय शाह कौन हैं? कहाँ हैं? रोहित शर्मा कुछ नहीं बोल पा रहे.. बूम बूम बुमराह अब हलवा बॉलिंग कर रहे हैं, पंड्या को रक्तहीनता शता रही है, मिस्ट्री स्पिनर छक्के परोस रहा है.. सब परास्त, पराजित,  शशंकित टीम की तरह मुँह छिपाए हैं.. भाग्य विपरीत हो बैठा है.. टॉस लगातार हारते जा रहे हैं.. 

आज है कोहली बनाम अफ़ग़ानिस्तान !
आज है रोहित बनाम अफ़ग़ानिस्तान 
आज है राहुल बनाम अफ़ग़ानिस्तान 
आज है शमी बनाम अफ़ग़ानिस्तान 
आज है स्लो पिच बनाम भारत 
आज है ओस बनाम भारत 
आज है भाग्य बनाम भारत 

विजयी भव ! 
दीपावली,  4 नवंबर : रोहित और राहुल सम्मान की रक्षा के लिए लड़े.. पंड्या ने भी पाप धोया,  अश्विन ने साबित कर दिया,  षड़यंत्र आपको परेशान कर सकती है, पराजित नहीं.. सबसे अच्छी ख़बर रवि शास्त्री जी का त्यागपत्र और रिटायरमेंट.. 
सबसे बड़ी भाग्य की बात : राहुल द्रविड़ का भारतीय टीम का कोच नियुक्त होना.. अगली पीढ़ी सुधार जायेगी.. ईश्वर की कृपा है.. 
कोहली थोड़ा विश्राम करें, फिर लौटें टीम में.. 
कल की भारतीय टीम पहले मैच की पाकिस्तान टीम के जैसी थी और अफ़ग़ानिस्तान में भी कमाल के t20 के खिलाड़ी हैं.. 
कुछ ओवरों के बाद शमी और बुमराह फिर बिखरे और भटके से दिखे.. पूरी 4 ओवर सटीक गेंदबाज़ी सीखनी बाकी है इनको... यहाँ ये आश्विन से कुछ सीख सकते हैं.. 
द्रविड़ के आने की ख़बर ने ही नयी ऊर्जा भर दी है.. 

जय हो !  

Tuesday, November 2, 2021

समस्त विश्व की चिंता टूल-किट में क़ैद है. षड्यंत्रों के जाल में फँसी अपनी एक एक साँस को तड़फड़ाती..

क्या नौकरी करना कठिन होता जा रहा है? क्यों लोग रिजाइन कर रहे हैं? क्या यह इसलिए तो नहीं कि अब गंध आ रही है गंदे लोगों से जो किसी षड़यंत्र का सहारा लेकर नौकरियों में भरते चले गए, जातिवाद, प्रांतवाद, कई अन्य कारण रहे ? अच्छे लोग नौकरी छोड़ रहे हैं, क्यूंकि वे अपना काम , मतलब का काम करना चाह  रहे हैं? क्या वे लोग नौकरी छोड़ रहे हैं, जिनका मन अघा गया है, काम करके, समझौते करके, तिजोरियां भर भर के? सब के अलग अलग कारण हैं. पाप का घड़ा भरता है समय समय पर न्याय होता रहता है , या यूँ कहें कि सल्तनत के बाद मुग़ल फिर अँगरेज़ शाशन करते हैं, फिर इतालियन, फिलहाल गुजरात से नए शाशक देश चला रहे हैं। . 



कलयुग का कुचक्र. यहां कोई ईश्वर नहीं है, यहां सिर्फ राक्षस सत्ताधीश हैं, सर्वत्र. चालबाज़, मौका परस्त, शोषक। देवों का समय तो कब का समाप्त हो चुका। . देव अब सिर्फ मंदिरों की शोभा बढ़ाते हैं, अपने भिन्न भिन्न रूपों में. 

जीने की उम्मीद क्षीण होती जा रही है. यह समस्त विश्व में छाया हुआ एक अंधेरा है...

उम्मीद की नयी किरण? पता नहीं पर जब अँधेरा गहरा छाया हो तो उम्मीद की कोई किरण फूटती ही है, देर सबेर। 

हर कोई अपना अस्तित्व छुपा बैठा है. जो चेहरे हम देखते हैं, वे छद्म हैं. लोग इतनी अच्छी नक़ल कैसे कर लेते हैं.. अपना सही रूप दिखाना जैसे पाप हो.. बहरूपिये। .हम सभी बहरूपिये हैं. ऐसी भय आच्छादित जीवन जीने का क्या फायदा? 

समस्त विश्व की चिंता टूल-किट में क़ैद है. षड्यंत्रों के जाल में फँसी अपनी एक एक सांस को तड़फड़ाती.. 



पर्सनल चिंता ऐसी जैसे अस्तित्व का शंकट आ गया हो. 

दूसरों के दुखः से हम अब दुखी नहीं होते, अपनी चिंता के अभिभूत हम अपने आस पास के लोगों के प्रति भी अपनी संवेदनाओं की आहूति दे बैठे हैं. 

हर सुबह याद दिलाती है; कुछ भी तो नहीं बदला.. आज भी वही षंडयंत्र सहना, करना है.. 

एक अर्थहीन क्षद्म जीवन की परिणति होती है, अपने हितों की चिंता से शुरू और अंत तक उसके ही पाश में , मोह में उलझकर. 

अब सहारे , संवेदनाएं, उम्मीदें , भरोसे, सब बिकाऊ हैं. सब उसी षड़यंत्र के हिस्से हैं.. 

अब हम जश्नों में नहीं, बाज़ारों में बिकते चकाचौंध में बहके बहके , कुछ डरे सहमे, कुछ सकते में से गुज़र जाते हैं, हर एक पल जो कभी अपने व्यक्तिगत आकांछाओं की प्रतिछवि से लगते थे, अब, तिलस्म से लगते है. 

शायद मैं , थक गया हूँ.. उम्मीद भी कम हो गयी है.. हर पल बस बीतता सा लगता है, घिसट कर, कोई रोमांच नहीं है, इसकी कोई चाह भी नहीं, अंदर ही अंदर कुछ ढूंढ़ता सा है इंसान , शायद इस तिलस्म का एंटीडोट। 


नाथन की "ग्लोबल एचआर कम्युनिटी" , एचआर वालों का नॉस्कॉम?

नाथन सर का मैं बड़ा वाला फैन हूं ! डेलोइट (हिंदी में बोले तो Deloitte) को  अपनी सेवा के १९ स्वर्णिम वर्ष समर्पित करने के उपरांत अभी-अभी निवृ...