Tuesday, April 27, 2021

लज़्ज़ानिवारण के लिए मखमली आवरण

काहे कि कल से बैंगलोर में लॉकडाउन है। .. दो हफ्ते का फिर से घर पर विश्राम। . 

HRBP (जिनका नाम नित बदलता रहता है) कुछ कंपनी इसको पीपल पार्टनर कह रही है... मोटी  सैलरी पचाने के लिए मोटी चमड़ी भर काफी नहीं है.. आपको लज़्ज़ानिवारण  के लिए मखमली आवरण (अंग्रेज़ी में facade )भी चाहिए। ..सो सीरत बदले न बदले , नाम बदलते रहिये.. 

एक बात तो इनकी माननी पड़ेगी, इन्होने स्वीकार कर लिया है कि "बिज़नेस" इनके बूते का नहीं है सो नाम रख कर अपने आप को रोज़ शर्मिदा क्यों करें. "पीपल पार्टनर" सरल है... 

इन पीपल पार्टनर्स के लिए गैंग्स ऑफ़ वास्सेय्पुर का यह सुपरिचित डायलॉग  प्रस्तुत कर रहा हूँ... लॉकडाउन में चखना जैसा काम करता है.. 



आपको नीचे JP की जगह PP (पीपल पार्टनर) पढ़ना है.. .. 

चलते चलते बता दूँ कि यहाँ RS (रामाधीर सिंह ) बिज़नेस लीडर है। ..जिसके बार बार प्रताड़ित , लज़्ज़ित किये जाने के बाद CHRO ने HRBP का नाम बदलकर "People Partner कर दिया है.. 

RS (to JP): Tum apni bhavnaaon ko daalo apni gaa#d me. Saala yahaan baithe baithe chhutwaiyaa netaaon, chhote chhote bachchon ki tarah netaa-giri karte ho. Abe apne ksetra me jaao thoda motivation do logo ko. Au kal raat ko kahaan the.

JP: Sinema dekhe.

RS: Kaun sa sinema.

JP: Dilwaale dulhaniya Le Jaaeynge.

RS: Beta tumse naa ho paayega, tumhaare lakshan bilkul thik nahi lag rahe.

यह  छोटी सी प्रस्तुति उन सब बंधुओं को समर्पित है जिनको HRBP की हक़ीक़त मालूम है.. ... 

इस प्रस्तुति में  किसी की  भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई कुत्सित प्रयास नहीं किये गया है... 

जाने अनजाने में कोई गलती हुई हो तो मैं क्षमा मांगता हूँ.. (यह मैंने अभी PM मोदी के CM Covid कांफ्रेंस में, स्वनामधन्य अरविन्द केजरीवाल  जी की माफ़ी मांगने  की कला से प्रेरणा लेकर सीखा है. )


Sunday, April 25, 2021

प्राथमिकताएं निर्धारित हैं..

आगे बड़ी लड़ाई है... चीन ने लंका लगाई है... मिलियन लाशे बिछाई हैं. ... विश्व युद्ध नहीं बस , यह प्रलय है... 

आईसीयू , वेंटीलेटर, ऑक्सीजन... हस्पताल का बेड। .. प्राथमिकताएं निर्धारित हैं... 

कब थमेगा यह युद्ध? कोई नहीं जानता। ... जब तक बचे तब तक लड़े। ... जब तक लड़े तब तक बचे. ...प्राथमिकताएं निर्धारित हैं.  

पहले बुखार मापते थे , अब ऑक्सीजन। ... प्राथमिकताएं निर्धारित हैं..

...कोविड के म्यूटेंट्स ने व्यथा बढ़ाई है... हर देश का अपना वैरिएंट है.. लोकलाइजेशन का स्पश्ट उदाहरण है.. 

...जांच , वैक्सीन, फिर कोविड  , फिर रेमडेसिविएर। ....कहाँ फंसा है विश्व। ..विकल समस्त जन संकुल. 

देश फंसा चुनावों में... टीवी डिबेट कुल कलंक प्रतिभाओं में... नाच रहे यमराज गलियों में... सब जन मन बंद हैं किल्लिओं में. ...प्राथमिकताएं निर्धारित हैं..

नाक मुँह में ठूँसे तिनके.. ..कपडे कई बंधवाये हैं... फिर बुद्ध याद आ गए  हैं. "वह घर ढूंढ कर बतलाओ जिसका कोई खोया न हो इस कोविड में।" 


..जल बिन मछली की कविता हम मनुस्य जनों पर विपदा बन कर छाई है... 


पोलियो कालरा, हैज़ा, मलेरिआ , डेंगू सभी शर्माए हैं... काल काल को खंडित करते ,...सबके दद्दा आये हैं. 


मैं मिशेल हूँ !

मैं मिशेल हूँ !  आपने मेरी तैयारी तो देख ही ली है, राइडिंग बूट, हेलमेट,इत्यादि.  मैं इन्विंसिबल नहीं हूँ !  यह नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मून लैंड...