Saturday, December 12, 2015

सपने बुनते रहिये

सपने बुनते रहिये 
ऊँचे ख़ाब देखते रहिये 
काफी काम लोगों में है यह हौसला,
इस रोशनी को जलाये रखिये 
बस ख्याल इतना रखिये 
पाओं को ज़मीन पर रखिये 

छोटी पटरियों पर फिसलने के हम नहीं कायल 
करें कलरकी और ख़ुशी से फूल जाएँ, ऐसे भी हम नहीं घायल 

डरिये मत कि लोग इसे फलसफा कहेंगे 
शब्द और संवेदना के ऐसे ग़रीब यहां ख़ूब मिलेंगे 
अठंन्नी डालिये, अपनी राह चलते रहिये 
भूल कर  भी इनसे ज्ञान मत लीजिये, 
क़ाबुल से निकाले गए कई गधे यहां भी मिलेंगे. (जनवरी २००३ )

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