सपने बुनते रहिये
ऊँचे ख़ाब देखते रहिये
काफी काम लोगों में है यह हौसला,
इस रोशनी को जलाये रखिये
बस ख्याल इतना रखिये
पाओं को ज़मीन पर रखिये
छोटी पटरियों पर फिसलने के हम नहीं कायल
करें कलरकी और ख़ुशी से फूल जाएँ, ऐसे भी हम नहीं घायल
डरिये मत कि लोग इसे फलसफा कहेंगे
शब्द और संवेदना के ऐसे ग़रीब यहां ख़ूब मिलेंगे
अठंन्नी डालिये, अपनी राह चलते रहिये
भूल कर भी इनसे ज्ञान मत लीजिये,
क़ाबुल से निकाले गए कई गधे यहां भी मिलेंगे. (जनवरी २००३ )
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