Saturday, December 12, 2015

ईश्वर अगर है और हो तुम मेरे साथ

संघर्ष करते हुए उदास हो जाता मैं, आशा छोड़ने लगती जब साथ, नज़र आता सिर्फ एक ही रास्ता, करते जाओ प्रयास, छोड़ो नहीं आश. 
फिर भी धड़कन बढ़ती जाती है, दूरी और परिवेश भी जब करने लगते निराश,
पर हूँ दृढ संकल्प, हार स्वीकार करने को हम तैयार, पर पूरा संघर्ष करने को हम बाध्य, प्रयाश से पूर्ण और निश्चय से दृढ़।  
दौड़ते रहना मेरी नियति है, कुछ सफलताओं से आशान्वित होकर, फिर असफलता, फिर निराश. 
आश-निराश के बीच झूलता मैं, मालूम नहीं, क्या होगी परिणति, पर है एक विश्वास. 
कि ईश्वर अगर है और हो तुम मेरे साथ, पहुंचेंगे जरूर, असफलताओं को लांग सफलता के पास. (मई, २०००. )

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