Monday, December 14, 2015

मानद उपाधियाँ आप भी ले सकते हैं.

दिलीप साब को पद्म विभूषण होम डिलीवर किया है राजनाथ सिंह ने. बधाई हो. ९३ वर्ष के हो गए हैं दिलीप साब. मुझे सबसे अच्छे लगे वो मशाल में.



इन उपाधियों से याद आया मानव संसाधन यानि HR वालों के कुछ उपाधियों का. एक संस्था हैं SHRM (इसका हिंदी ऑटो रूपांतर शर्म बता रहा है) यहां से आप कुछ उपाधि खरीद सकते हैं.. ऐसी दूसरी काफी सारी इंटरनेशनल संस्थाएं हैं जो HR की चूरन गोली , यानि सर्टिफिकेट बेचती हैं. ३०० डॉलर से ६०० डॉलर में आप चुटकुले टाइप ३ घंटे का एग्जाम लिख कर , ८ हफ़्तों में मानद उपाधि का टीका अपने बायो डेटा के सर पर लगा सकते हैं.
आजकल HR के उपाधि वाले अपने नाम के आगे लिखते हैं, PHR , SPHR , GPHR , HRMP ,इत्यादि.

कुछ HR के नए मुल्ले, अपने मंद उपाधि के बाद tagline लगाना नहीं भूलते..
कुछ ऐसे होते हैं ये चुटकुले नुमा tagline "Identified as top 20 future HR leaders by Peoplematters 'Are You in the List?'"
स्वनामधन्य एक HR की पत्रिका नें ये सूरमा लिस्ट तैयार किया है. फॉर्म भर दीजिये, लम्बी फेंक मारिये और आप बन गए, Identified as top 20 future HR leaders by Peoplematters 'Are You in the List?'. 

अब आप इनके चाल, चेहरा और चरित्र से परिचित होना चाहते हैं तो इनके एक दो LinkedIn पोस्ट पढ़ लें. आप अपना सर पीट लेंगे. यह फेक लोग अपनी सेल्फ fancied , सेल्फ फुलफिल्लिंग प्रोफेसी की दुनिया में रहते हैं. यह है HR socialite की दुनिया।  

HR के एक नए मुल्ले नें अपने LinkedIn प्रोफाइल में यह भी लिख डाला, "Recognized as an Emerging Future HR Leader in 2014 by DDI & People Matters and as Asia's Best Young HR Professional by World HRD Congress". कोई LinkedIn पोस्ट? कोई आर्टिकल/रिसर्च पेपर? कोई वीडियो? कोई ब्लॉग? जी नहीं, हम हैं HR socialite, हम सिर्फ फेम जानते हैं. फेक का फेम. शर्म करो भाई. 

मेरे MBA कॉलेज के एक सीनियर के LinkedIn प्रोफाइल में उनके नाम के आगे लिखा Ph.D . २०१०-२०१५ के बीच उन्होंने यह डिग्री/डॉक्टरेट की उपाधि अहमदाबाद के HR  डेवलपमेंट अकादमी से प्राप्त ही है, ऐसा उनके LinkedIn प्रोफाइल में लिखा है. . लेकिन यह अकादमी तो यूनिवर्सिटी है ही नहीं, न ही इसे UGC की मान्यता प्राप्त है.फिर इन्हे यहाँ से Ph.D कैसे मिला? 

HR  डेवलपमेंट अकादमी का जब ऑनलाइन brochure पढ़ा तो पता लगा, इन्होंने MOU साइन किया है एक गुजरात की प्राइवेट यूनिवर्सिटी के साथ. इस यूनिवर्सिटी का आपने नाम तक नहीं सुना होगा. इस यूनिवर्सिटी में शायद एक प्रोफेसर हो जो Ph.D हो. 
जब इस यूनिवर्सिटी की वेबसाइट मैंने चेक किया तो पाया की यह यूनिवर्सिटी स्टेट लेजिस्लेशन से यूनिवर्सिटी UGC इसे डिग्री (Ph.D इत्यादि  ) प्रदान करने की permission देता है. UGC के इस approval लेटर को इस यूनिवर्सिटी नें अपने वेबसाइट पर लगा रखा है. जिसमे संलग्न गजट ऑफ़ इंडिया साफ़ तौर पर लिखता है के आप कोर्रेस्पॉण्डन्स या  पार्ट टाइमर को डिग्री/including Ph.D नहीं दे सकते. फिर इस फुल-टाइम कर्मचारी को  जो कभी अहमदाबाद में न काम किया नहीं करता है, आपने इसको Ph.D की डिग्री कैसे दे दी? 

मजेदार बात तो यह है कि अहमदाबाद के HR  डेवलपमेंट अकादमी नें अपने ऑनलाइन brochure में लिखा है, Fellowship का फी है रूपया।  ३५०,०००/- और अगर आप Ph.D भी चाहते हैं तो एक्स्ट्रा रूपया . १६०,०००/- जमा करें और ये उनकी MOU  वाली अहमदाबाद की प्राइवेट यूनिवर्सिटी से Ph.D में मदद करेंगे. यह क्या झोल है? Fellowship के ३५०,०००  और Ph.D १६०,००० में? कमाल है. 

अब Ph.D भी कोर्रेस्पॉन्डस कोर्स की तरह बिकने लगी. और यह फेम वाले इसके बड़े खरीदार हैं? शुक्र है यह MBBS की डिग्री नहीं है वरना कितने मरीज़ शहीद हो जाते. 

जब मैंने इस प्राइवेट Ph.D वाली यूनिवर्सिटी को उनके और  अहमदाबाद के HR  डेवलपमेंट अकादमी के MOU के विषय  लिखा तो उन्होंने कोई जवाब  नहीं दिया. उनके वेबसाइट पर लिखे दोनों लैंडलाइन नंबर निरंतर बिजी रहते हैं या रखे गए हैं. फिर मुझे उनके वेबसाइट से दूसरा लैंडलाइन नंबर मिला. इस पर बात हुई एक महिला से जिसने काफी सशंकित हो कर मेरे बारे में पुछा फिर कहा Ph.D के लिए आप इस मोबाइल नंबर पर कॉल करें. मैंने उस मोबाइल नंबर पर कॉल किया. तुरंत ही Ph.D के बारे में पूछने पर उस व्यक्ति नें काफी रूखे तरीके से कहा, लैंडलाइन पर फ़ोन करो. और उसने वही नंबर दिया जो हमेशा बिजी रहता है. सारा खेल समझ में आ रहा है. 

मैंने अहमदाबाद के HR  डेवलपमेंट अकादमी को भी ईमेल लिखा है यह पूछते हुए की क्या उनका Ph.D के लिए MOU उस यूनिवर्सिटी के साथ है और क्या मैं Ph.D के लिए अप्लाई कर सकता हूँ. मुझे जवाब नहीं मिला अब तक.. उनका फ़ोन नंबर जो वेबसाइट पर हैं सुबह ९. ३० और फिर १० बजे किसी नें नहीं उठाया. 

देखता हूँ कब जवाब देते हैं. 







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