Sunday, January 26, 2025

यह वाक़या मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ कि मृत्यु की कोई ग्रह दशा नहीं होती

 

लोग कुंडली क्यों दिखाते हैं? 

अक्सर ऐसा तब होता है जब वो किसी प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ रहे होते हैं. 

ज्यादातर यूट्यूब वीडियोस गोचर के आधार पर भविष्यफल बताते हैं और वह भी लग्न के अनुसार. 

दशा के आधार पर भविष्यफल भी बताते हैं ज्योतिषगण यूट्यूब पर. 

किसी भी प्रश्न का उत्तर आप सिर्फ किसी की कुंडली देख कर ही अनुमान से बता सकते हैं. कितना सत्य होगा भविष्य कथन यह नहीं कह सकता कोई भी एस्ट्रोलॉजर। आप दस तरीके से कुंडली के सभी पक्षों का आकलन करके भी कई चूक कर जाएंगे. कई बार उतने गहन आकलन की कोई ज़रूरत भी नहीं होती. 

मैंने एक अच्छे एस्ट्रोलॉजर से पूछा था; आप कुंडली कैसे देखते हैं? 

उनका जवाब सरल सा था; ग्रहों की स्थिति, शुभ अशुभ योग, दशा, राशि और घरों की स्थिति ,गोचर और डिविशनल चार्ट।  बस इतना ही काफी है. गोचर कई बार कोई विशेष प्रभाव नहीं डालते. कई अच्छे एस्ट्रोलॉजर गोचर को बहुत कम महत्व देते हैं. यहाँ तक कि शनि की साढ़े साती का भी वे प्रभाव नहीं मानते. मैं भी नहीं मानता गोचर को. गोचर बाहरी प्रभाव है. आप अगर ५० डिग्री तापमान में एयर कंडिशंड (AC ) कार में जा रहे हैं तो क्या आपको कोई फर्क पड़ेगा? परन्तु अगर कुंडली और दशा कमज़ोर हो तो पड़ेगा, क्यूंकि तब कार होगी तो AC नहीं या फिर दोनो ही नहीं. 

मेरा मानना है और ऐसा मैं अपने छोटे अनुभव से कह सकता हूँ कि शुभ-अशुभ योग सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. उसके बाद ग्रहों की स्थिति (उच्च -नीच, कम्बस्ट ),और नक्षत्रों के आधार पर. केंद्र त्रिकोण में उनका बैठना इत्यादि, परन्तु यदि शनि, सूर्य और मंगल ६, ८, १२ में भी हों तो उनका प्रभाव कम नहीं होगा

मैंने पाप-कर्तरी का प्रभाव भी देखा है. शनि, मंगल, राहु, केतु क्रूर ग्रह माने गए हैं. इन ग्रहों के बीच यदि कोई घर/भाव फँस जाता है तो उस भाव के प्रभाव में कमी आती है और विपरीत प्रभाव देखने में आते हैं. 

मेरा मानना है गुरु सभी कुंडली के लिए शुभ ग्रह हैं. यदि कोई उपाय काम न आ रहा हो तो गुरु को अपना लें. पुखराज या फिर उसका कोई उपरत्न अपना कर देखिये. 

क्षमा कीजियेगा; परन्तु मैं लाल किताब के उपाय करने को बिलकुल नहीं कहूँगा।  कष्ट में पड़े इंसान, पशु-पक्षी की सेवा आपको केतु और शनि का अच्छा फल देगी. अपने बस में जितना परोपकार करना हो तो करें. अन्ध विश्वास से बचिए.

नीच के ग्रह मज़बूत स्थिति में हो सकते हैं और उच्च के ग्रह कमज़ोर स्थिति में. इनका आकलन ज़रूरी है. 

कई एस्ट्रोलॉजर जब यह कहते हैं कि कुंडली कमज़ोर है, सभी शुभ ग्रह दुष्प्रभाव में हैं इत्यादि तो इसका मतलब साफ़ होता है कि प्रेडिक्शन सही नहीं बैठेगी. 

परन्तु यदि कुंडली मज़बूत हो तो फिर प्रेडिक्शन सही बैठती है. गुरु, शनि महत्वपूर्ण हैं किसी भी कुंडली में. राहु-केतु भी शनि और गुरु की मज़बूत स्थिति में उत्पात नहीं मचा सकते. 

अब रही राहु केतु की दशा की बात: मेरा मानना है कि ये किस स्थान में बैठे हैं और किस ग्रह के साथ बैठे हैं, इसका प्रभाव पड़ेगा. यह दोनों राहु केतु, अकेले अपना प्रभाव बुरा नहीं देंगे. या तो उस ग्रह जिसके साथ युति है इनकी उसको प्रभावित कर और उस घर विशेष की स्थिति अच्छी या खराब करेंगे और इसका साफ़ असर उस घर के मालिक ग्रह की स्थिति पर निर्भर करेगा. 

राहु-केतु शुभ ग्रहों की युति को ही खराब करते हैं. 

शनि, मंगल, सूर्य  साथ हों तो इनकी नहीं चलती. इसी कारण , मैं गुरु चांडाल दोष, श्रापित दोष, विष दोष  और सूर्य ग्रहण दोष नहीं मानता. 

बाकियों के साथ युति हो तो नाकों चने चबवा देते हैं. 

मेरे विचार में लग्न कुंडली ८०% महत्वपूर्ण है

दशा के लिए कारकांश कुंडली अवश्य देखिये. दशा लार्ड ६, ८, १२ में फंसे हों तो तकलीफ होगी. 

मैं षडास्टक इत्यादि, दशा अंतरदशा लॉर्ड्स के कॉम्बिनेशन को इस आधार पर नहीं मानता.  जैसे षडास्टक, नवम पंचम, सम - सप्तक इत्यादि. 

यदि आप नौकरी करते हैं तो शनि आपके लिए महत्वपूर्ण हैं. व्यापार के लिए गुरु और चण्द्रमा की स्थिति सबसे ज्यादा आपके मानसिक स्थिति को बताता है. पीड़ित चन्द्रमा, पीड़ित लग्न स्वामी आपके लिए पैरों में पड़े जंजीर की तरह हैं और अक्ल पर ताले लगाने वाले जैसे. 

मेरा यह भी मानना है कि दूसरे , सातवें , आठवें और १२ वें लार्ड की दशा कष्ट देगी ही देगी. 

राहु केतु यदि चन्द्रमा और लग्न के स्वामी को प्रभवित कर रहे हैं युति बनाकर तो फिर आप सबसे ज़्यादा संघर्ष मह्सूस करेंगे. 

मैं कारक और अकारक, बाधक ग्रहों के कांसेप्ट को भी नहीं मानता. मेरा मानना है कि ग्रह अपना नैसर्गिक फल देते हैं. 
मेरे विचार से मारक ग्रह सिर्फ दूसरे  घर का स्वामी ग्रह ही होता है. यदि शुभ ग्रह मारक हों तो लम्बे समय का कष्ट देंगे अपनी दशा में. अशुभ मारक ग्रह मारेंगे मगर लम्बा नहीं घसीटेंगे. 😁. 

गोचर का लाभ तभी मिलेगा जब दशा अच्छी चल रही हो. कुंडली में ग्रह, युति अच्छे बने हों. 

ढैया और साढ़े साती सभी गोचर के आधार पर बने हैं. 

भाग्य प्रबल हो तो आप परेशानियों से आसानी से निकल जाएंगे. 

आपका मन शांत तभी होगा जब चंद्र और आपके लग्न के स्वामी दूषित नहीं होंगे. मन शांत नहीं है तो निर्णय गलत होंगे. 

उच्च और नीच के ग्रह तभी अच्छा फल देंगे जब आपकी दशा अच्छी चल रही होगी. उच्च ग्रह भाग्य और आत्मबल बढ़ाते हैं. नीच के ग्रह शंका में रखते हैं. अनिश्चित और आक्रांत भी. नीच के ग्रह कड़ी मेहनत के कम फल देते हैं अपनी दशा में. उच्च के ग्रह सफल भी बनाते हैं और सम्मानित भी महसूस कराते हैं. नीच के ग्रह असंतुष्ट ही रखते हैं. नीच के ग्रह मृग मरीचिका जैसे हैं. नाम बड़े , दर्शन छोटे. 

मेरे लिए उपाय का अर्थ कर्म के फल का भोग ही है. समय कठिन हो तो अपने जीवन को सरल कर लें, ईश्वर से अपने पाप कर्मों के लिए क्षमा मांग लें. 

कर्मकांड और आडम्बर वाले प्रयोजन और टोटके काम नहीं आ सकते. परन्तु ये तब काम आते हैं जब आपके गुरु अच्छे हों. गुरु को सभी को अच्छा करना चाहिए. समय ज्यादा लग सकता है. गुरु का अर्थ है सात्विक हो जाना. अपने लोभ, मोह, स्वार्थ, महत्वाकांक्षा को कम से कम कर देना या त्याग देना. गुरु का सम्मान, सभी का सम्मान, , मर्यादित जीवन, अच्छा व्यवहार, विचार इत्यादि. 

मेरे एक मित्र के पति का ३१ दिसम्बर २०२४ को निधन हो गया। हार्ट अटैक उनके ५१ वे जन्मदिन के ६ दिन पहले आ गया जब वे घर में आराम कर रहे थे. अमेजन में आईटी में अच्छे पद पर थे बंगलौर में. 

उनकी पत्नी ने बताया कि वे सभी जयपुर से लौटे थे वेकेशन के बाद और भोजन कर कमरे में आराम करने गए. मेरी मित्र दूसरे कमरे में अपनी पुत्री के साथ कुछ काम कर रही थीं. तभी उन्हें कराहने जैसी मंद आवाज़ दूसरे कमरे से सुनाई दी. वे दौड़ कर वहां पहुंची तब देखा उनके पति अपने छाती को ह्रदय के करीब दबा कर पड़े थे. मेरी मित्र जब तक तक कुछ कर पातीं तब तक उनके पति का शरीर स्थिर हो चुका था. एम्बुलेंस १० मिनट में आ जाता है, नज़दीक के हस्पताल में १५ मिनट में पहुँचने के बाद भी उनके बचाया नहीं जा सका. हस्पताल ने ब्रॉट- डेड बता दिया. ईसीजी टेस्ट ने मृत बता दिया. 

यह वाक़या मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ कि मृत्यु की कोई ग्रह दशा नहीं होती. उनकी शनि की दशा में शुक्र का अंतर प्रत्यंतर और गुरु की सूक्ष्म दशा चल रही थी . वृषभ राशि और कुम्भ लग्न के व्यक्ति के लिए शनि और शुक्र दोनों अच्छे ग्रह हैं. और इन्हें  कोई बीमारी भी नहीं थी. धार्मिक, सात्विक जीवन, शांत स्वभाव वाले व्यक्ति . 


ऊपर की कुंडली में क्या सुख भाव और चन्द्रमा पाप-कर्त्री में हैं? शनि-केतु और मंगल के बीच फंसे हैं चन्द्रमा और सुख भाव. 

कई ज्योतिषी चौथे भाव को ह्रदय मानते हैं शरीर का. तो क्या पाप-कर्त्री ने ह्रदय को पाप प्रभाव में दाल दिया और इसीलिए इनकी मृत्यु ह्रदय अपघात से हुई? 

क्या चन्द्रमा ३१ दिसंबर २०२४ को कमज़ोर अवस्था में थे ? नीचे के चार्ट को देखिये. चन्द्रमा ३१ दिसम्बर को अष्टम में थे और आत्मा के कारक सूर्य भी अष्टम में थे. सूर्य इनकी कुंडली में भी सप्तमेश हैं तो वे भी मारक ग्रह हुए इस कुंडली में. 

सबसे बड़ी बात यह है की ३१ दिसम्बर २०२४ को चौथा भाव यानि ह्रदय का भाव भी पाप-कर्त्री में है-मंगल और केतु के बीच फंसा हुआ. और चौथे भाव के स्वामी सूर्य अष्टम में हैं. 


शनि केतु पंचम में, गुरु शुक्र १२ वे में. गुरु की महादशा २०१७ तक काफी अच्छी चली, तीन देशों में काम किया, करियर, धन सब अच्छा. नवम्बर २०१७ से शनि की दशा में भी करियर और जीवन अच्छी गति से चला. 

गुरु १२ वें  में नीच के, दूसरे भाव के स्वामी भी हैं . पर क्या सूक्ष्म दशा में गुरु मृत्यु का कारण बन सकते हैं? नहीं. गुरु के सामान आचरण वाले व्यक्ति को गुरु क्या और क्यूँ मुश्किल देंगे? नवमांस में गुरु उच्च के हैं. गुरु ने अपनी महादशा में उच्च का और १२वें भाव का फल दिया. विदेशों में नौकरी, विदेशों में लंबा प्रवास भी. फलतः गुरु इनकी कुंडली में ११वें भाव के स्वामी भी हैं. उन्होंने इच्छा पूर्ति भी की और धन संचय में भी मददगार साबित हुए अपनी दशा में. 

शनि के साथ शुक्र और गुरु दोनों का ही षडास्टक बन रहा है. गुरु के साथ १२ वे में बैठे हैं. गोचर में शनि लग्न में हैं, शुक्र के साथ. गुरु वृष में चौथे भाव में. जब दशा में डबल षडास्टक चल रहा हो और षडास्टक वाले ग्रह शुक्र का लग्न में गोचर क्या आघात कर सकता है? आप बताइये. शुक्र तो इनके केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी हैं. इसमें तो सब अच्छा ही होना चाहिए था?

जयपुर के अपने वेकेशन पर ही इन्होने अपने लिए एक पुखराज की अंगूठी खरीदी थी और अभी बंगलौर में पूजा करा कर इसे पहनने वाले थे. उनका मानना था कि पुखराज उनका जीवन बदल देगा. 

इन्होने दो अमेरिकन पेटेंट भी अपने नाम किये थे।  आठ साल तक डाटा साइंस  में आईआईटी बम्बई में काम किया और पिछले ३ साल से अमेज़न में थे. मैसूर से गणित में मास्टर की डिग्री ली थी इन्होने. 

अभी-अभी मेरे परम मित्र से दिल्ली में बात हुई. वे ज्योतिष के अच्छे जानकार हैं. आईटी में अच्छे पद पर काम कर रहे हैं. उनको जब मैं इस केस के बारे में बता रहा था तो तत्काल तो उन्होंने गुरु को इस घटना के लिए जिम्मेवार बताया पर फिर उन्होंने पुछा, क्या इनका मंगल अपनी ही राशि में है? मैंने कहा हाँ और मुझे आश्चर्य भी हुआ कि जय ने मंगल का अपनी राशि में वाली बात कैसे पकड़ी. मंगल मेष में हैं. 

फिर उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक मंगल के कारण होता है, जैसा कि उन्होंने कुछ अन्य ऐसी घटनाओं में पाया है. है न कमाल की बात? 

अब मंगल का इस कुन्डली में हार्ट अटैक से क्या सम्बन्ध है और ३१ दिसम्बर 2024  को ही हार्ट अटैक से मृत्यु का क्या ज्योतिषीय कारण सामने आता हैं? यह जांच का विषय है. 

शनि केतु के साथ पंचम में मिथुन में हैं।  मंगल केतु के नक्षत्र अश्विनी में हैं. गोचर में शनि लग्न में कुम्भ में हैं।  मंगल पांचवे भाव में शनि और केतु के ऊपर से गोचर में हैं।  


Saturday, September 14, 2024

हम आहत भी हैं और शर्मिंदा भी! ॐ शांति डेनिस!


एक महिला कर्मचारी ,'कोई' डेनिस प्रूदोम वेल्स फार्गो के एरिज़ोना ऑफिस में मरी पड़ी मिलीं ! ४ दिनों तक किसी ने उन्हें नहीं ढूँढा , कोई उनके पास नहीं गया. दूर कोने में कहीं डेस्क पर उनकी लाश सड़ती रही. सोमवार , मंगलवार शाम हो गयी. बदबू से ऑफिस भरने लगा , लोग शिकायत करने लगे. 

शायद AC के AHU में कोई चूहा मर गया हो! 

चूहे की तलाश डेनिस पर जाकर ख़त्म होती है. डेनिस की सड़ती हुई लाश पर. 

कैसी विडम्बना है, लीडर्स और एच आर वाले , आपके वेल्बीइंग , इंगेजमेंट, सहभागिता , चेक इन जैसे कई ज्ञान पेलते रहते हैं. आपसे कहते रहते हैं, ऑफिस आ जाओ, ऑफिस से काम करो , घर पर डिप्रेस हो जाओगे. मेन्टल इलनेस हो जायेगी. सेहत ख़राब हो जायेगी. आप बात मान लेते हैं, ऑफिस आते हैं, मर जाते हैं अपने डेस्क पर, चार दिन तक वेल्बीइंग और इंगेजमेंट का झुनझुना बजाने वाले आपको सूंघने भी नहीं आते. घर पर होते तो कोई तो आपको यूँ सड़ने नहीं देता. आपका कुत्ता भी अगर अकेला आपके साथ होता तो वह भी आपके पड़ोसियों को चीख चीख कर बता देता कि किसी को मदद चाहिए. निकम्मा पडोसी भी कम से कम ९११ पर संपर्क कर सूचना तो दे ही देता! 

मैं यह नहीं कह रहा की ये एच आर वाले और आपके सहकर्मी उन कुत्तों-बिल्लियों से भी संवेदना शून्य निकले. वैसे इस हालात में, एक दिन उनका भी नंबर आएगा. आप झुनझुना बजाते रहिये. 

जब २० अगस्त, मंगलवार, शाम को कर्मचारियों ने ऑफिस में किसी सड़ांध की शिकायत की, तो पता चला डेनिस चार दिन पहले , शायद शुक्रवार को , यानि १६ अगस्त को ही मर चुकी थीं ! पुलिस आती है ४;४५ शाम को और सरकारी कार्रवाही करती है. 

वेल्स फार्गो अमरीका की सबसे बड़ी बैंकिंक कंपनी है जिसकी ७० अन्य देशों में दफ्तर हैं, कुल ढाई लाख से भी ज्यादा कर्मचारी हैं !  भारत में भी इनके कई ऑफिस हैं जहाँ बैक ऑफिस ऑप्रेशन टीम काम करती है. ग्लास्सडोर पर भी वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर काफी चिंता जताई है कर्मचारियों ने. कई ने दिन के १२ से १४ घंटे काम करने की बात की है. वेल्स फार्गो की ग्लास्सडोर रेटिंग कुछ समय पहले तक ४.० थी , पर आज अचानक ३.६ पर आ गयी है. सीईओ चार्ली शर्फ़ की अप्रूवल रेटिंग भी ८९% से गिरकर ६६% पर अटक गयी है. 



अगर सिर्फ भारत के स्टाफ की रेटिंग लें तो शायद यह ३ से भी नीचे चली जायेगी. 

भरत और फिलीपींस में इनके HR वालों की संख्या ५००० से भी ऊपर है. इनके पास तो झुनझुनों की पूरी वेयरहाउस है. हर किस्म के, हर रंग के, हर तरह के प्रोनाउन के. 

भारत में अब कोई डेनिस ऑफिस डेस्क पर मरी पड़ी न मिलें , इसके लिए एक व्यापक, संवेदनशील संगठन की ज़रूरत होगी. HR वालों के भरोसे तो आप ३ से नीचे की रेटिंग पर आ गिरे हो , अब और कितना गिरोगे? 

आज, यानि १४ सेप्टेम्बर को हिंदी दिवस है. इसलिए हिंदी में है यह ब्लॉग. 

भारतेन्दु ने कहा था, "आवहु सब मिल रोवहु भाई, 

हा , हा , भारत दुर्दशा देखि नहीं जाई. 

आज वर्कप्लेस में भी यही लागू होता है. निराशा और ग्लानि से भरे हैं हम सभी. 

हम सब के बीच कोई डेनिस की मौत न मरे, इसीलिए आईये अपनी चेतना को झकझोरें , संकल्प लें कि एक और डेनिस को इस वर्कप्लेस के एकाकीपन में मरने को नहीं छोड़ेंगे. 

हम आहत भी हैं और शर्मिंदा भी! 

ॐ शांति डेनिस! 


Monday, April 8, 2024

नाथन की "ग्लोबल एचआर कम्युनिटी" , एचआर वालों का नॉस्कॉम?

नाथन सर का मैं बड़ा वाला फैन हूं ! डेलोइट (हिंदी में बोले तो Deloitte) को  अपनी सेवा के १९ स्वर्णिम वर्ष समर्पित करने के उपरांत अभी-अभी निवृत्त हुए नाथन एक युग पुरुष हैं. 
शनि की महादशा भी १९ वर्षों की होती है! शनि न्याय के ग्रह हैं! शनि नियम, अनुशाषण के नियामक भी हैं! 
नाथन इससे विपरीत विष्णु के अवतार से लगते हैं मुझे. मैं उनसे कभी मिला नहीं  जो भी लिखित संपर्क है वह लिंकडिन के संवाद तक सीमित है ! वे बेहद उदार और मधुर व्यक्तित्व के स्वामी हैं. उनकी एक किताब "बहरूपियान चैलेंज " कुछ वर्ष पहले प्रकाशित हुई थी. कई अन्य लेखकों के मानव संसाधन एवं विकास के अनुभव के साथ साथ नाथन के भी कई उत्कृष्ट लेख इस पुस्तक में संग्रहित हैं. कभी अवसर मिले तो पढियेगा. 

नाथन ने अपनी इस पुस्तक तो मुझे स्वयं कुरियर किया था, एक अतिसुन्दर सन्देश और अपने हस्ताक्षर के साथ. 

मैं उनका यह आभार नहीं भूल सकता. सच्चे, सरल व्यक्ति हैं नाथन. XLRI - An institution Nurturing Responsible Leaders  जैसे उत्कृष्ट संस्थान से वे एमबीए हैं. कई लाख लोग उन्हें लिंकडिन पर फॉलो करते हैं. उनका एक हैशटैग #officetruths को भी चार हज़ार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. 

विष्णु का काम पालन करना है. लक्ष्मी उनके चरण सेवा में लगी रहती हैं. इसी तरह नाथन सर अब भी सेवानिवृत्त नहीं हुए हैं और अपनी सेवा , अनुभव और सारा समय (4) Global HR Community: Overview | LinkedIn

को देते रहेंगे ,ऐसा लगता है. . इस प्लेटफॉर्म को दिशा और संवर्धन देने की घोषणा, उन्होंने पिछले हफ्ते ही की थी. 

नाथन को आराम कहाँ ! उन पर नीचे की कविता फिट बैठती है. 

रोबर्ट फ्रॉस्ट की कविता है; माइल्स टू गो  बिफोर आई स्लीप। ..हिंदी में बोले तो. 

सघन गहन मनमोहक वनतरु मुझको आज बुलाते हैं; 

मगर किये जो वादे मैंने, याद मुझे आ जाते हैं. 

अभी कहाँ आराम बदा,  यह मूक निमंत्रण छलना है. 

अरे अभी तो  मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना हैं... 




नाथन के साथ ऊपर की तश्वीर में मेरे एक पुराने मैनेजर श्री रमेश रंजन जी भी दिख रहे है. बीच में श्री श्रीकांत जी हैं. उनको मैं नहीं जानता. 
रंजन जी ने अभी एक नयी किताब लिखी है : Making People Count ... \अवसर मिले तो पढ़ सकते हैं आप. मैंने किंडल अनलिमिटेड पर पढ़ा इसे. काफी कंटेंट भरा है इसमें. अकादमिक पुस्तक है पर नए युग के विद्यार्थी इसे पसंद करेंगे. 


नाथन की एक नयी सोलो पुस्तक २०२२ में आयी है : The Heart of Work ! अफ़सोस मैंने अभी तक नहीं खरीदी इसे. किंडल पर १७१ रुपये मात्र. 
अगर आपने इसे पढ़ी है तो बताइयेगा कैसी है. 



श्रीकांत , रंजन  और नाथन के ऊपर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी. मेरा मानना है, ग्लोबल एचआर कम्युनिटीएचआर वालों का नॉस्कॉम होगा ! नाथन की भूमिका यहां भी भगवान् विष्णु की ही होगी , ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है. 

मेरी शुभकामनायें इन तीनों महानुभावों के साथ हैं. 

Tuesday, January 2, 2024

मैं मिशेल हूँ !

मैं मिशेल हूँ ! 

आपने मेरी तैयारी तो देख ही ली है, राइडिंग बूट, हेलमेट,इत्यादि. 

मैं इन्विंसिबल नहीं हूँ ! 

यह नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मून लैंडिंग की तश्वीर भी नहीं है. 

मैंने अभी रास्ता नहीं नापा है, बस परिस्थितियों को भांपना सीखा है. 

कोई सेफ्टी व्हील भी नहीं है. हाँ , मैंने साइकिल चलाना सीख लिया है. 

कहते हैं, सीखने की कोई उम्र नहीं होती ! 

अगर आप भी कहीं, इस बेबी साइकिल और नील आर्मस्ट्रांग की मून लैंडिंग के बीच हैं, तो फिर एक राइड तो बनती है! 


Monday, December 25, 2023

"बड़ी बड़ी बातें, वडा-पाव खाते ! "

तन्मय भट्ट के एक यूट्यूब चैनल पर एक जोक सुना;

आपने कभी यूट्यूब लाइव सेशन ज्वाइन किया हो तो पाया होगा कि लोग कमैंट्स लिखते रहते हैं राइट पैनल के मैसेज बॉक्स में. 

किसी व्यूअर ने लिखा; कितनी खूबसूरत लड़कियां हैं यहां; किसको देखूँ , किसको न देखूँ !

अन्य व्यूअर ने रिप्लाई करते हुए लिखा ; भाईसाब, आप अपनी औकात देखो! :)

रिक्रूटमेंट या हायरिंग के बारे में भी यही परम सत्य है; इसका अर्थ यह नहीं कि आप अपनी औकात के बाहर जा कर हायर नहीं कर सकते , पर आप एक्सपेरिमेंट करके क्या हासिल कर लेंगे, जब ऑफर एक्सेप्ट होंगे , न कैंडिडेट ज्वाइन करेगा! 

मैंने अपने हायरिंग करियर में दो बातों को ध्यान से समझा है. 

१. दो तरह के कैंडिडेट होते हैं; पहला, जो जबरदस्त हो और दूसरा जो आपको ज्वाइन कर सकता है. अब आप ऐश्वर्या के चक्कर में विवेक ओबेरॉय बनना चाहते हो तो आपकी मर्ज़ी. 

२. हायरिंग अगर हायरिंग मैनेजर के साले की शादी है, तो फिर यह रिक्रूटर के बहन की शादी भी नहीं है. 

अगर आप पहले की दो बातों से सहमत नहीं हैं तो आप नीचे लिखे दो तथ्यों पर ध्यान दीजिये ;



१. हायरिंग की ओपन पोजीशन की ब्रीफिंग आपने अगर बड़े साहब ली है, तो आपको सबसे पहले उसमे से विदेशी और एमबीए वाली जार्गन निकालनी है , फिर कैंडिडेट से बात करनी है. असली ब्रीफिंग आपको ओपन पोजीशन के डायरेक्ट मैनेजर से मिलेगी और दुःख दर्द कष्ट पीड़ा की दास्ताँ उसी रोल में फंसे दूसरे एम्प्लोयी से. किसी जूनियर रिक्रूइटेर से मैंने कुछ सुना था , आपको इसी सन्दर्भ में बता देता हूँ; "बड़ी बड़ी बातें, वडा-पाव खाते ! " 

सर्जन स्टर्लाइज़ करते हैं, आप रिक्रूइटेर हो , आप थोड़ा सैनीटाइज़ कर लो. सत्य वैसे भी, कही बीच में होता है. 

२. शादी और रिक्रूटमेंट में एक कहावत अ-समान रूप से फिट बैठती है; एक काबिल व्यक्ति से सुना था; शादी बिरादरी में नहीं, बराबरी में होती है! परन्तु हायरिंग आज भी बिरादरी में होती है! अगर आपके चार कजिन की शादी  फूफी या खाला के बच्चों से हुई है, तो पांचवी भी वहीँ होगी ! तो रिक्रूटर बहन, आप अगर सर्विस इंडस्ट्री के लिए हायर करते हो तो फिर, अपने कजिन से आसना करते रहो, फायदे में रहोगे. 


Tuesday, October 31, 2023

हे देवी इंदिरा गाँधी , आपको नमन!



मार्च १९७१" भारत-पाकिस्तान युद्ध 

मार्च -दिसंबर १९७५: बांग्लादेश लिब्रशन युद्ध 

अक्टूबर १९७८ बाई इलेक्शन: एक शेरनी दस लंगूर, चिकमगलूर, चिकमगलूर! 

इमरजेंसी १९७५ : अनुशासन ही देश को महान बनाता है. 

१९८४" इंदिरा: अंतरिक्ष से भारत आपको कैसा देख रहा है? 

स्क्वॉड्रन लीडर राकेश शर्मा: सारे जहां से अच्छा ! 

जून १९८४: ऑपरेशन ब्लू स्टार 

हे देवी इंदिरा गाँधी , आपको नमन! 

श्रद्धांजलि 

हे देवी, आपको नमन! 
श्रद्धांजलि !
मार्च १९७१" भारत-पाकिस्तान युद्ध -What a decimating defeat to Pakistan! Pants down (sorry, hands)! Does anyone have any doubt calling Indira an Iron Lady?
मार्च -दिसंबर १९७५: बांग्लादेश मुक्ति युद्ध - Asian subcontinent ka don kaun?
अक्टूबर १९७८ बाई इलेक्शन: एक शेरनी दस लंगूर, चिकमगलूर, चिकमगलूर! -This is an epic election, and you must read role of women of Chamkaur (Karnataka) in making her historic landslide win an epic!
इमरजेंसी १९७५ : अनुशासन ही देश को महान बनाता है. - Big fan of her strong leadership! There is no strong leader without a strong action, how much unpopular!
१९८४" इंदिरा: अंतरिक्ष से भारत आपको कैसा देख रहा है? - This is not Harry Potter moment!
स्क्वॉड्रन लीडर राकेश शर्मा: सारे जहां से अच्छा ! Poet Iqbaal went to Pakistan, but we lived his dream in India. Jhande pe chaand wala joke band karo!
जून १९८४: ऑपरेशन ब्लू स्टार --Jurassic Park was inspired by this operation, not literally. :)
I am a BIG Indira fan! I even agree that during her time, Indira was India and India was Indira. I didn't say congress!


Wednesday, October 26, 2022

लालटेन और झाड़ू

 



दैदीप्य लालटेन चमचमाते सीसे बता रहे हैं, हमे चुनाव चिह्न समझने की भूल मत करना! मैं किसी युग मात्र का शेष प्रतीक नहीं! कई अरमान पनपते है मेरी रौशनी में, कवि की कविता को कभी फोटोग्राफर की कल्पना को सींचता हूं मैं!


अगली बारी इसकी है!



Friday, December 3, 2021

डाइवर्सिटी इन्क्लूज़न, इक्वलिटी, बेलॉन्गिंगनेस एक व्यापक चर्चा है



डाइवर्सिटी इन्क्लूज़न, इक्वलिटी, बेलॉन्गिंगनेस एक व्यापक चर्चा है. उससे भी गहन आत्म-चिंतन/आत्मावलोकन   का विषय है यह. यह भी अमरीकी गुब्बारे की तरह मानस पटल छा रहा है. आज हर कंपनी में इसकी चर्चा है. एचआर में काम करने वाले हर किसी ने अपने नाम के आगे डाइवर्सिटी इन्क्लूज़न एडवोकेट लिख दिया है. 

९०% डाइवर्सिटी इन्क्लूज़न, इक्वलिटी, बेलॉन्गिंगनेस पदों पर महिलाओं का कब्ज़ा है. मुझे महिलाओं से कोई परहेज़ नहीं है पर यह कुछ कांग्रेस के वाईस प्रेजिडेंट पद जैसा नहीं है? रहेंगे तो राहुल बाबा ही ! यह पद राजनैतिक नहीं है  न ही कोई मुलम्मा। ..इसकी उत्पत्ति न तो रंगभेद या गोरों का कालों पर अत्याचार या एंटी सेमिटिस्म जैसी भयावह घटनाओं से है। ..

इसके पुरोधा न महात्मा गाँधी है, न मंडेला, न जॉर्ज फ्लॉएड ! #ब्लैकलाइवमैटर्स ! 




इसकी चर्चा समलैंगिक होने या सेक्स के लिए अपने पार्टनर के चुनाव से है. पर यहां सब आंदोलन जैसा है. गे परेड, रेनबो झंडे और अन्य प्रतीक। . 

डाइवर्सिटी और इन्क्लूज़न एक गहरी सोच है जो सामाजिक न्याय का हथियार नहीं  है. यह मात्र व्यक्ति के प्रति किसी भी प्रकार के पक्षपात का विरोधी है. भारत में सर्व धर्म समभाव युगों से स्थापित मान्यता है. वसुधैव कुटुम्बकम से आगे हमने कॉर्पोरेट में इक्वल ओप्पोर्तुनिटी एम्प्लायर का एक फॉर्मल प्रोसेस रिक्रूटमेंट प्रोसेस में अनुबंधित मिला। ..इसकी वजह अमरीकी अदालतों की फटकार और कई महंगे मुकद्दमे  रहे !

भारत में कॉर्पोरेट इसे भी हवा भरे गुब्बारे की तरह देख रहा है. इस सुन्दर अवसर को भी मार्केटिंग और अवसरवादियों की बलि चढ़ा दी गयी है. इसमें सब कुछ इलीट सा लग रहा है. जैसे कोइ अंतरिक्ष से उतरा कांसेप्ट हो. 

जब तक  सामान्य एम्प्लोयी इसे अपनी स्वीकृति नहीं देता तब तक यह कुछ लोगों की नौकरी और मोटी सैलरी पचाने मात्र का सगल रह जाएगा.

Diversity is about #different #perspectives
Simon Sinek says, different perspectives with same set of common values and goals will thrive. Check this video...


He says, he would rather hire someone who has no idea about that job and then this person brings whole new perspective..
Now, look at the recent hires into the roles of #Diversity #Inclusion#Equality#Belonging and they have experience in #DEIB and the look at the jobs on LinkedIn for #DEIB and you see them looking for a "type"..

Most JDs look like an event manager, who wears a billboard of #DEI all the time and makes every discussion not end without talking about #DEI...

Imagine, we had not had this role earlier and did we really trample upon civil rights, gay rights, ethic rights, gender rights, experience, age and backgrounds?

Remember rights are won after a battle, a long drawn battle and you think a lone #DEI trumpet and an event manager would bring such rights to the #Deprived?
Think again. I will not be surprised when one company looks for #DEI specialist, they will hire a woman, then they will look for #DEI experience and then they will look for industry match and MNC to MNC match to everything match!
#$uck you! It doesn't work that way and it will not not be successful as there is no outcry, no protests, no idols like #NelsonMandela (Apartheid, millions victimized) and Civil Rights , 25 years in jail and Civil Rights movement , emancipating millions and then Dream Comes True! but at a cost of brutal #assassination of #KingJr
Start #DEI as a collective reform...from top to policies to treating customers, employees, nature, make all places and communication and platforms #Inclusive...
#Diversity can't find place without constant and stable change through #Inclusion first...

Ditch the drama , make #DEI real!
Ref: मैंने लिंकेडीन पर एक पोस्ट लिखा है  डाइवर्सिटी , इन्क्लूसिव पर.. उसका लिंक यहां है.  बस  मैंने चिपका दिया है. ऊपर . 

लिंकडिन अब हिंदी में भी-यह नया है.


लिंकडिन अब हिंदी में भी। . यह नया है.. वैसे हमने कभी भी हिंदी को दूर नहीं जाने दिया लिंकडिन से। .कई आर्टिकल लिखे हिंदी में। .कुछ पोस्ट भी पर वह अकाउंट लिंकडिन ने बंद कर दिया। ..कम्युनिटी गाइडलाइन्स का उल्लंघन जो हुआ था। .वाज़िब है. 

वैसे यह मेरा लिंकडिन का चौथा अकाउंट है. दो मैंने मिटाये थे , एक लिंकडिन नें। . मुक़ाबला २-१ से बराबर। . अब ऐसे भी बराबर होता है. आप गणित करते रहिये। जिसकी लाठी उसकी भैंस. 

ट्विटर वाले कूल डूड बाहर , पराग भाई अंदर. सवाल सरकार और उससे पहले बोर्ड को खुश रहने का है. आप डोर्से हों या ट्राविस कलाकनिक हों , बोर्ड सब पर भारी है. अब पैसा चाहिए विवाद नहीं. वीवर्क वाले आदम न्यूमन तो याद होगा आपको .. 

मतलब साफ़ है, फाउंडर अलग मिटटी के होते हैं, और उनके बाद वाले सीईओ अलग. याद रखिये, इन सभी भारतीय सीईओ जो अमरीकी टेक और अन्य कंपनियों के सूरमा बने हैं, उनमे से किसी ने कभी कोई कंपनी नहीं खड़ी की. 

आगे की बहस आप अपने ग्रुप में कर लेना। 

हिंदी में कई कंटेंट क्रिएटर यूट्यूब वाले हैं. यूट्यूब पैसा देता है. वीडियो देखना आसान है, कौन पढ़े कंटेंट. ७०% कंटेंट वीडियो में खपत होते हैं. 

मैं हिंदी में लिखता हूँ ब्लॉगर पर और चिपकाता हूँ लिंकेडीन पर.  यह आसान है और ओरिजिनल कंटेंट अपने ब्लॉग पर सुरक्षित रहता है. 

अगर मुझे मेरे हिंदी ब्लॉग से कुछ आर्टिकल निकाल कर लिंकेडीन पर आर्टिकल चिपकाना हो तो कौन सा लेना चाहिए, आप बता सकते हैं. 

अगली आर्टिकल मैं डाइवर्सिटी , इन्क्लूसन , इक्वलिटी और बेलोगिन्ग के बारे में लिखना चाहता हूँ. 

कॉर्पोरेट का यह नया मुलम्मा है. अपने गिरेबान में झाँकने पर सभी कंपनियों को लगा जैसे वे अपने देश की सरकार की तरह अराजक हो गए है. जमीर धिक्कारने लगा उन्हें , उन्होंने आईने में सुसान फाउलर का फोटो देख लिया। .. अब उन्हें भी अपनी कंपनी गन्दी दिखने लगी. लेकिन जैसा कि कहते हैं न, "धूल कई बार चेहरे पर होती है और हम आईना साफ़ करते होते हैं. ". 

डाइवर्सिटी इन्क्लूसन के पहले आत्मा साफ़ हो, डाइवर्सिटी के उलेमा पाक हों. मंदिर का प्रांगण धुला धुला हो. 

लेकिन डाइवर्सिटी के नाम पर हम सिर्फ महिलाओं को और कुछ सतरंगी लोगों को कंपनी के सीने पर बैठा का अपना दामन पाक नहीं कर सकते. 

आप लिंकडिन पर डाइवर्सिटी एंड इन्क्लूसन हेड  टाइप करें, लोगों को सर्च करें।  ९०% आपको महिलाएं मिलेंगी इस पद पर। .. क्या चल रहा है यह सब? 

Wednesday, December 1, 2021

चमत्कार ज़रूरी है. सेटिंग भी ज़रूरी है.

 

कुछ साल पहले नौकरी.कॉम पर एक सीनियर रिक्रूइटेर का रिज्यूमे देखा था. यह रिज्यूमे था २०१२ में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज से एम् बी ए, अरविंद (छद्म नाम) की। . इसके पहले उन्होंने एक और एम् बी ए किया था इक्फ़ाई हैदराबाद से , उसके बाद दो साल की रिक्रूइटेर की नौकरी TCS हैदराबाद में. फिर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज से एम् बी ए, फिर माइक्रोसॉफ्ट में रिक्रूइटेर, फिर लिंकेडीन में रिक्रूइटेर और फिर एक फार्मा कंपनी में रिक्रूइटेर.. फिर ऊबर में रिक्रूटमेंट और फिर जब ऊबर से काफी सारे एच आर वाले निकाले जाने लगे तो इन्होने नौकरी.कॉम पर अपना रिज्यूमे डाल दिया. अब आप कहेंगे , प्रीमियर स्कूल , नामी कंपनियों में अनुभव और नौबत आ जाए नौकरी.कॉम पर रिज्यूमे डालने की , वह भी उस रिक्रूइटेर को जिसने लिंकेडीन की सपथ ली हो, लम्बा अनुभव लिंकेडीन में रिक्रूइटेर रहने का हो. यह सब इतना कॉमन नहीं है कि प्रीमियर बी स्कूल एम् बी ए को अच्छे अनुभव के बाद भी नौकरी. कॉम  का सहारा ढूंढना पड़े. एक समय था जब कोई प्रीमियर बी स्कूल का इंसान नौकरी.कॉम पर अपना रिज्यूमे डालना तौहीन समझता था। . चलो किश्मत अच्छी हो तो नौकरी मिलती रहती है. काफी निराशा के बाद समय रहते उन्हें ब्राउज़र स्टैक नाम की कंपनी में नौकरी मिल गयी। .. 

कहानी अरविंद के बारे में नहीं है, यह कहानी है नौकरी की तलाश की. इन्हे इनके एमबी ए के साथी ने फार्मा कंपनी में नौकरी दिलाया तो इन्होने उसे भी अपनी नयी कंपनी में नौकरी दिला कर क़र्ज़ उतार दिया। . सबको यह मौका मिलना चाहिए। .क़र्ज़ लेकर कौन मरे। . 

तो जनाब , ज़िन्दगी ३ बातों पर टिकी है; प्रारब्ध , कर्म और तीसरा और सबसे ज़रूरी "चमत्कार". यह चमत्कार ही था जो ऊबर और ब्राउज़र स्टैक के बीच हुआ अन्यथा ६० लाख में रिक्रूइटेर कौन लेता है? 

करियर में गैप हो गया तो इनकी ही जात  वाले रिक्रूइटेर इन्हे अछूत की तरह छोड़ देते हैं. 

चमत्कार ज़रूरी है. सेटिंग भी ज़रूरी है. 


Monday, November 29, 2021

बिखर गए तो रेत , ढल गए तो बुत !

 

कितनी पोस्टमार्टम की जाए अपनी कुंडली और किस्मत की. साली घूम घूम कर अपनी काली शक्ल दिखाने आ जाती है. कभी भी हो, जवानी से अब बुढ़ापे तक इसकी यही कहानी रही है, ज़िन्दगी हराम करते रहो।  

हर बार इसी बात का अहसास करने की कोशिश की है इसने कि मेरा वक़्त ख़त्म हो गया है. अब बेकार की कोशिश कर रहा हूँ मैं, मेरे लिए कोई काम किसी जगह नहीं बचा है. डटे रहे तो फिर कुछ मिला पर अब बस झूठ की आस बची है. 

पढ़ते रहो, फौजियों की तरह तैयारी करते रहो पर बात नहीं बनती. हज़ारों जगह अप्लाई कर करते रहो , ऐसे कितने ही ब्लॉग पिछले ५ सालों में लिख चुका , साली किस्मत है कि समझती ही नहीं. कब ख़त्म होगी इसकी शरारतें। . कितना कर्मा बचा है अब तक तो ख़त्म हो जाना चाहिए था। 

एक ही शब्द है जो बार बार लौटता है, फ़्रस्ट्रेशन, निराशा , इंतज़ार, बेचैनियां जो कब ख़त्म होंगी कह नहीं सकता. 

समय ठीक तो लग रहा है पर मौका नहीं मिल रहा. हाथ में आकर मौका निकल गया, डेट आ गया जोइनिंग नहीं हुई, बार बार यही कहानी।

चलो ऐसा होता रहता है, कोई नयी बात नहीं  है. जेल  जमानत बेल परोल   बस यही कहानी है अपनी. और इसके ऊपर ही एक गुमनाम कहानी बनेगी, किताब भी. 


शायद यह सब इसलिए हो रहा है ताकि मैं , अपना रास्ता बदल दूँ. और उस रास्ते मैं चल पड़ा हूँ.. आगे इसे मज़बूती से करता जाऊँगा।  

इस धरती पर हर पल ये जंग है, हमेशा लड़ते रहना और जीतने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. 

शत्रु सिर्फ वह नहीं है यहां जो खंज़र लिए खड़ा है, बल्कि वे सब हैं , जैसे गरीबी, बीमारी, मज़बूरी, लाचारी, बदकिश्मती,  पक्षपात, अन्याय,  और पता नहीं क्या क्या। .. 

तो इसलिए भाई, बंधू, दीदी, माताजी, बच्चे , लड़ाई ख़त्म नहीं होती... लड़ते रहो.. 

बिखर गए तो रेत , ढल गए तो बुत ! 

यह वाक़या मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ कि मृत्यु की कोई ग्रह दशा नहीं होती

  लोग कुंडली क्यों दिखाते हैं?  अक्सर ऐसा तब होता है जब वो किसी प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ रहे होते हैं.  ज्यादातर यूट्यूब वीडियोस गोचर के आधार पर...