एक महिला कर्मचारी ,'कोई' डेनिस प्रूदोम वेल्स फार्गो के एरिज़ोना ऑफिस में मरी पड़ी मिलीं ! ४ दिनों तक किसी ने उन्हें नहीं ढूँढा , कोई उनके पास नहीं गया. दूर कोने में कहीं डेस्क पर उनकी लाश सड़ती रही. सोमवार , मंगलवार शाम हो गयी. बदबू से ऑफिस भरने लगा , लोग शिकायत करने लगे.
शायद AC के AHU में कोई चूहा मर गया हो!
चूहे की तलाश डेनिस पर जाकर ख़त्म होती है. डेनिस की सड़ती हुई लाश पर.
कैसी विडम्बना है, लीडर्स और एच आर वाले , आपके वेल्बीइंग , इंगेजमेंट, सहभागिता , चेक इन जैसे कई ज्ञान पेलते रहते हैं. आपसे कहते रहते हैं, ऑफिस आ जाओ, ऑफिस से काम करो , घर पर डिप्रेस हो जाओगे. मेन्टल इलनेस हो जायेगी. सेहत ख़राब हो जायेगी. आप बात मान लेते हैं, ऑफिस आते हैं, मर जाते हैं अपने डेस्क पर, चार दिन तक वेल्बीइंग और इंगेजमेंट का झुनझुना बजाने वाले आपको सूंघने भी नहीं आते. घर पर होते तो कोई तो आपको यूँ सड़ने नहीं देता. आपका कुत्ता भी अगर अकेला आपके साथ होता तो वह भी आपके पड़ोसियों को चीख चीख कर बता देता कि किसी को मदद चाहिए. निकम्मा पडोसी भी कम से कम ९११ पर संपर्क कर सूचना तो दे ही देता!
मैं यह नहीं कह रहा की ये एच आर वाले और आपके सहकर्मी उन कुत्तों-बिल्लियों से भी संवेदना शून्य निकले. वैसे इस हालात में, एक दिन उनका भी नंबर आएगा. आप झुनझुना बजाते रहिये.
जब २० अगस्त, मंगलवार, शाम को कर्मचारियों ने ऑफिस में किसी सड़ांध की शिकायत की, तो पता चला डेनिस चार दिन पहले , शायद शुक्रवार को , यानि १६ अगस्त को ही मर चुकी थीं ! पुलिस आती है ४;४५ शाम को और सरकारी कार्रवाही करती है.
वेल्स फार्गो अमरीका की सबसे बड़ी बैंकिंक कंपनी है जिसकी ७० अन्य देशों में दफ्तर हैं, कुल ढाई लाख से भी ज्यादा कर्मचारी हैं ! भारत में भी इनके कई ऑफिस हैं जहाँ बैक ऑफिस ऑप्रेशन टीम काम करती है. ग्लास्सडोर पर भी वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर काफी चिंता जताई है कर्मचारियों ने. कई ने दिन के १२ से १४ घंटे काम करने की बात की है. वेल्स फार्गो की ग्लास्सडोर रेटिंग कुछ समय पहले तक ४.० थी , पर आज अचानक ३.६ पर आ गयी है. सीईओ चार्ली शर्फ़ की अप्रूवल रेटिंग भी ८९% से गिरकर ६६% पर अटक गयी है.
अगर सिर्फ भारत के स्टाफ की रेटिंग लें तो शायद यह ३ से भी नीचे चली जायेगी.
भरत और फिलीपींस में इनके HR वालों की संख्या ५००० से भी ऊपर है. इनके पास तो झुनझुनों की पूरी वेयरहाउस है. हर किस्म के, हर रंग के, हर तरह के प्रोनाउन के.
भारत में अब कोई डेनिस ऑफिस डेस्क पर मरी पड़ी न मिलें , इसके लिए एक व्यापक, संवेदनशील संगठन की ज़रूरत होगी. HR वालों के भरोसे तो आप ३ से नीचे की रेटिंग पर आ गिरे हो , अब और कितना गिरोगे?
आज, यानि १४ सेप्टेम्बर को हिंदी दिवस है. इसलिए हिंदी में है यह ब्लॉग.
भारतेन्दु ने कहा था, "आवहु सब मिल रोवहु भाई,
हा , हा , भारत दुर्दशा देखि नहीं जाई.
आज वर्कप्लेस में भी यही लागू होता है. निराशा और ग्लानि से भरे हैं हम सभी.
हम सब के बीच कोई डेनिस की मौत न मरे, इसीलिए आईये अपनी चेतना को झकझोरें , संकल्प लें कि एक और डेनिस को इस वर्कप्लेस के एकाकीपन में मरने को नहीं छोड़ेंगे.
हम आहत भी हैं और शर्मिंदा भी!
ॐ शांति डेनिस!
Simon Sinek says, different perspectives with same set of common values and goals will thrive. Check this video...