Sunday, April 26, 2020

क्या इन सज्जन को कोरोना हुआ है?

करोना से पहले की तश्वीर ऊपर है , कोरोना की नीचे ! पहले बाहर का मजा, अब घर में ही हलवाई बनने का अवसर !
मासूम सवाल: इन सज्जन को क्या परेशानी है भाई?
जवाब: इनको कोरोना हुआ है!
कुछ लोग कोरोना को करोना बोल रहे हैं. करोना देश से निकले न निकले, देश करोना से निकल ही जाएगा.
पर फँस जाएँगी कुछ कम्पनियाँ। वो भी कैसे बताएँ कि अब उनको कोरोना हुआ है ? यह पीरियड शेम जैसा ही है. व्हिस्पर का कॉन्फिडेंस कैसे मिले इन कंपनियों को? धंधा जड़ों से हिल चुका है. क्लाइंट का भी वही हाल है. क्लाइंट को कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल करने की जल्दी है. वेंडर पेमेंट के लिए हज़ार व्हाट्सप्प मैसेज कर चुका है, ऑफिस का किराया बाकी है. एम्प्लोयी ज़ूम मीटिंग में सैलरी मांग रहे हैं। इन्वेस्टर चेक नहीं दे रहा. यह तो हाल है, आइंस्टीन लोगों के स्टार्ट-अप का. छोटी कम्पनियाँ जो अन्य छोटी कंपनियों के भाग्य से जीवित थीं, अब आस छोड़ चुकी हैं. ३०% दुकान, कारोबार, खुल भी पाएंगे, इसमें संदेह है. सरकार मुआवज़ा देगी, फिर हिसाब-किताब चुकता करके मालिक फारिक होंगे।
रही बात मध्यम दर्जे की भारतीय कंपनियों की, तो अब ये, "कामचोर पकड़ो, आंदोलन चलाएंगे. कामचोर सिर्फ कामचोर हुए तो मारे जाएंगे, पर साथ-साथ चमचे हुए तो बच जाएंगे. फिर भी बकरे की अम्मा कब तक ख़ैर मनाएंगी?
एयरलाइन, होटल तो करारी मार खा चुके हैं. सामान्य होने में थोड़ा वक़्त लगेगा , लोगों की नौकरियां जा सकती हैं, कुछ के सैलरी काम हो सकते हैं,नयी नौकरियां नहीं मिलेंगी जल्दी, पर एंट्री लेवल जॉब्स की सम्भावना बनेगी, कॉन्ट्रैक्टर्स को काम मिलेंगे, काम अब नए  मानक पर चलेंगे। नया मैट्रिक्स। टीम छोटी और सपाट होने लगेंगीं।  सबसे अजूबा यह होगा; बॉस भी अब काम करेंगे, टाइम शीट भरेंगे। अब सचमुच काम करना होगा बॉसेस को क्यूंकि उनके सूबेदार, जमादार, खानेशमा तो मुअत्तल हो चुके। तनाव तीव्र गति से बढ़ेगा , सर पर तलवार लटकती रहेगी.
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पर सबसे बड़ी परीक्षा तो सीता की होनी हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम राम (श्री सीईओ ) तो मर्यादा पुरुषोत्तम रहेंगे, अग्नि में तो सीता को प्रवेश करना होगा.
सीता कौन?वही 'एच आर' वाली सीता. 'एच आर' को अब सीता का धर्म निभाना है. कलंक राम पर न लगे इस लिए उन्हें अपनी "अग्नि-परीक्षा" देनी है, तत्काल प्रभाव से। देश निकाले का फरमान, ब्लैक वारंट, पिंक स्लिप भी तैयार रखना है. "पिंक" से यह आया; इससे तो सीता का गहरा लगाओ रहा है, पर यह पिंक उन्हें भी अब डरा रहा है. गहरे नींद से उठा रहा है. घर से हर एक पिंक वस्तु, परदे, चादर, रुमाल, तकिये, पर्स , सभी काले बक्से में बंद कर दिए हैं.
"कोविद" एक युग है, कलयुग की चरसी बेटी का  जो युग को नया बोध ही नहीं एक नया युग ही देने आयी है. समझ लीजिये कि , श्री राम रावण से युद्ध जीतकर अभी अयोध्या आये ही थे कि , पता चला उन्हें श्री लंका का चार्ज लेने जाना पड़ेगा।
सीता अब नया एम्प्लोयी मैन्युअल लिखेंगी, नया ऑफर लेटर, नए शर्त, कई "रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस" से कॉपी किये हुए उद्बोधन, उद्धरण दिखेंगे.
 एच आर अपने नए अवतार में, स्पेशल अपीयरेंस और क्रेडिट्स वाले स्क्रीन पर ही दिखेंगे. सभी 'एच आर' के माफिया मल्लिकाएँ, झोला-छाप कोच और कंसल्टेंट , संस्थान, पत्र-पत्रिका एच आर १.0  २.0 ., ३.0 की अवधारणा प्रस्तुत कर चुके हालिया समय में पर यह क्या , यहॉं तो 'एच आर' का रूप-रंग ही बदल गया, 'एच आर'-(पी सी ) पी सी , अर्थात, पोस्ट-कोविड ! पी सी का अर्थ , परपेचुअलि चैलेंज्ड भी कह सकते हैं. एच आर वाली सीता को वूका (VUCA) से बड़ा प्यार था. भय सबको इसका भय दिखा कर, भाग्य विधाता बनती थीं . VUCA का इस्तेमाल इन्होने काल-शर्प दोष के जैसा किया, अब यह शर्प इनके घर ही कुंडली मार बैठा है.
पर सीता मैया हमें अवश्य मुक्त करेंगी सारे भय से. जय हो सीता मैया की  .....

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