Saturday, May 11, 2019

जब कुँए में ही भांग पड़ी हो

हिंदी में  एक कहावत है; जब कुँए में ही भांग पड़ी हो ! भारतेंदु ने कहा था ; आवहु सब मिल रोवहु भाई , हा हा , भारत दुर्दशा देखि नहीं जाई! आज मुझे HR के बारे में यही कहने में कोई संकोच नहीं है.
किसी ने सही कहा है ; ";ज़िन्दगी लम्बी नहीं, बड़ी होनी चाहिए ! ". पद्म श्री चाहे आप चंदा कोच्चर को दें या फिर जे के सिन्हा को, बात तभी बनती है जब आप दूसरों की ज़िन्दगी बदल देते हैं!
आपने यह कहावत सुनी होगी; 'चार आने की मुर्गी, बारह आने का मसाला! ', या फिर यह तो वही हुआ कि ;'खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा , बारह आना. ' एक्सपायरी डेट पर कर चुकी बुड्ढी HR की महिलायेँ अब Catalyst Inc जैसी संस्थाओं से डाइवर्सिटी और इन्क्लूसन का अवार्ड लेने न्यू यार्क चली जाती हैं. माले मुफ्त दिले बेरहम।
लगभग २० साल पहले डेव उलरिच ने एक क़िताब  लिखी थी;
जब मोदी सरकार तय है तो फिर ७ बिलियन डॉलर का चुनाव कोई मतलब नहीं रखता, पर क्या करें, ४० चोरों को लगता है, अली बाबा से दो दो हाथ कर लें, तो हमने भी कहा, लड़ ले भाई! अगली बार नो चुनाव !

The HR Scorecard: Linking People, Strategy, and Performance! HR वालों ने भावनाओं को न समझते हुए, जुमले अपनी माँग में, चेस्ट नंबर की तरह सीने पर चिपका लिया; HR बिज़नेस पार्टनर , एम्प्लोयी चैंपियन, कैटेलिस्ट , चेंज एजेंट, इत्यादि! स्वनामधन्य मठाधीश कुकुरमुत्तों की तरह उग आये कंपनियों में. नाम बड़े और दर्शन छोटे! एक अमरीकी फार्मा कंपनी है; alcon ! यह novartis की कंपनी है. alcon को HR बिज़नेस पार्टनर चाहिए. लिंकेडीन पर alcon ने 

मिर्ज़ा ग़ालिब  का एक शेर अर्ज़ है: "अगर अपना कहा तुम, आप समझे तो क्या समझे मज़ा कहने का जब है, एक कहे और दूसरा समझे ज़बान ए मीर समझे और कलाम ए मिर्ज़ा समझे मगर इनका कहा यह आप समझें, या खुदा समझे"

यह जान लेना ज़रूरी है की किसी को लोकप्रिय क्यों होना है, उसके लोक्रपिया होने का क्या मतलब है और वो किनके लोकप्रिय होना चाहते हैं? 
दूसरा सवाल हम अपने आप से कर सकते हैं; क्या आप अभी लोकप्रिय नहीं  हैं? अगर आपको काम ही लोग पसंद करते हों, तो यह  जाँच करना अच्छा रहेगा, की किन कारणों से वे आपको पसंद करते हैं. क्या आपके लोकप्रिय होने के पीछे कपि उद्देश्य छिपा है? अगर हाँ तो क्या आप इसे ज़ाहिर करना चाहते हैं या नहीं? 
मेरा मानना है लोकप्रिय बनना आपके विचारों और व्यक्तित्व का लोगों से एका होने से है. बात आपकी संवेदना और लोगों की संवेदनाओं का सामंजस्य होने से है. आपकी वाणी भी  विचार और संवेदनाओं का सही अभिव्यक्ति करती हो तो बात बनती है. ध्यान रहे , आप संवाद करते हों न की सिर्फ प्रवचन. आपका मकसद लोगों को समझना भी हो न की सिर्फ समझाना या फिर उनका नेतृत्व करने मात्र को विवश होना. 
आपको ओरिजिनल होना होगा, न कि किसी की कॉपी ! लोकप्रिय होना कोई सफल कमाऊ फिल्म बनाना नहीं है, यह कमाई इसका आउटकम हो तो ठीक है. 
मेरी समझ में लोकप्रिय होने का कोई सेट फार्मूला नहीं है. यह एक लम्बी यात्रा है, जिसमे कई पड़ाव हैं, कई झटके भी हैं. घोर निराशा और अवसाद भी. अगर आप एक वर्ग के लोकप्रिय हैं, तो एक दूसरा वर्ग आपकी खिलाफत के लिया खड़ा हो जाएगा, आप तीक्ष्ण आरोप-आलोचना, प्रत्यारोप के दौर से भी गुज़रेंगे. अब संतुलन, शब्दों का, विचारों का, संवेदनाओं का  भी आप स्वाद चखेंगे. कुल मिलाकर आप पॉपुलर होंगे पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह सिर्फ सुहाना सफर है. 
दिल से आप अपने काम को करते रहिये, कोई PR एजेंसी रखने की ज़रूरत नहीं. आपके फैन आपके अपने अनुभवों से फॉलो करते रहेंगे. आप उन्हें निरंतर जोड़े रखें.  

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