गजोधर भैया ठीक ही कहते हैं, नौकरी जुगाड़ से मिलती है
गजोधर भाई कह रहे थे ,नौकरी ढूंढने से नहीं, जुगाड़ से मिलती है. मेरे कुछ दोस्त काफी समय से नौकरी ढूढ़ रहे हैं, हर तरह की कसरत-आजमाईश, दुआ-दरगाह, किसी ने कोई कमी नहीं छोड़ रखी है. सीईओ से ले कर सीबीआई तक की पैरवी लगा रखी है, पर किश्मत है की अंगद की तरह पैर जमा कर हिलने का नाम नहीं लेती. तंत्र, मंत्र, माला, रुद्राक्ष, ताबीज़ , यन्त्र , रत्न, धातु, बाबाजी की बूटी, सब आजमा लिया पर नौकरी नहीं मिल रही.
जैसे बैटरी की लाइफ होती है, किस्मत की भी लाइफ होती है. आपकी बैटरी duracell है तो फिर लंबी चलेगी.
गजोधर भैया ठीक ही कहते हैं, नौकरी जुगाड़ से मिलती है. सेटिंग करने से मिलती है. साली यह तो डॉन हो गई जिसको ११ मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही है...
२००० का डॉट कॉम बस्ट, २००८ का ग्रेट डिप्रेशन कुछ लैंडमार्क हैं, जिस पर जॉब मार्किट की तश्वीर को बदलने का बड़ा कलंक लगा है. २००० का डॉट कॉम बस्ट डिजिटल के लिए एक समय से पहले आने का झटका था. अच्छी सोच पर शायद दुनिया इसके लिए अभी तैयार नहीं थी.
२००८ ने अमेरिका के सब प्राइम क्राइसिस को सामने ला खड़ा किया, इनफ्लैटेड रियल एस्टेट, unsecured लोन्स, करप्शन की पराकाष्ठा. जितने बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के नाम, उतने शर्मनाक हरकत. २००० का डॉट कॉम बस्ट टेक्नोलॉजी की एक फेलियर थी, २००८ करैक्टर की जबरदस्त पतन. २००८ ने हवाई किले की सच्चाई उजागर कर दी. लोग डर गए, नौकरी गयी तो ज़िन्दगी गई, इसे बचा लो, चाहे किसी कीमत पर, फिर शुरू हुआ सेटिंग का धंधा, coterie , cartel , जुगाड़, भाई- भतीजा वाद, जात वाद, प्रान्त वाद. दौर शुरू हुआ अदृश्य बिज़नस प्रैक्टिसेज का, अंडरवर्ल्ड की तरह, सब कुछ अंदर ही अंदर. कम्पनियाँ, जात -प्रान्त के छावनियों तब्दील होने लगीं. जिसे जहां मौका मिला अपना तबेला बना लिया। मुन्नियां बदनाम होती गयी, शीलाएं अपनी जवानियाँ भुनाने लगीं. ठेकेदार, दुकानदार कंपनियों में घुस आये, सब एक षड़यंत्र सा पर camouflaged !ऊपर-ऊपर सब कुछ सामान्य सा दीख रहा था, पर अंदर ही अंदर एथिक्स और वैल्यूज समाप्त होते गए. जहां वैल्यूज नहीं हैं, वहां सिर्फ करप्शन और डिक्लाइन ही बचता है.
डिसइंटेग्रेटेड बिज़नस फूंक्शन्स, साइलोड फूंक्शन्स और उन प्राइवेट fiefdom में 'छत्रप' की अपनी सरकार, अपना हरम , हरम की हिफाज़त के लिए हिजड़े बहाल होते गए.अब भाई , नौकरी पानी है, या बदलनी है तो हिजड़ों से संपर्क करें, हरम की मल्लिका से संपर्क करें, काम हो जायेगा.
२००८ के बाद , हिजड़ों का, @#डियों का दौर चल पड़ा है, अगर आप दोगली बात कर सकते है, दोगला चरित्र है आपका तो, आपकी तरक्की निश्चित है.
ऐसा नहीं है कि काबिल लोग नहीं रहे या उनकी कुछ चलती नहीं, पर भाई, हनी ट्रैप में अब उनका भी बॉस फंसा है. पेटीकोट गवर्नमेंट है भाई.
कबीर ने कहा है ; "जात -पात पूछे नहीं कोई, हरी को भजे सो हरी का होइ. ". आज हालात उल्टी है, ज्यादातर जगह में जात -पात है. हायरिंग मेनेजर या बॉस की पर्सनल कम्फर्ट है. रंगे सियार बहाल होते गए, फिर कैरेक्टर भी एक ही है, वैल्यूज की कोई क्लेश नहीं है.
पहले मैं कहता था, नौकरी चाहिए, तो प्रोफेशनल प्रोफाइल बनाइये, LinkedIn पर नेटवरकिंग कीजिये, ऑनलाइन प्रोफेशनल ब्लॉग लिखे, ऑनलाइन कम्युनिटी के मेंबर बने. अपनी इनफ्लएंस बनाये, टैलेंट से, पर अब ,कहता हूँ, पब और डिस्को जाएँ, सोशल प्रोफाइल बनाएं, socialize करें, और फिर आपका करियर चमकेगा ! जैक डैनिएल्स, हुक्का पार्टी, और आपकी सेटिंग हो जाएगी, यही एक ग्रुप है, जिसकी कोई जात नहीं है, यहां, सभी की जात दारु, हुक्का, पार्टी और आफ्टर पार्टी है. यह नुश्खा आजमाएं और मन चाही नौकरी पाएं.
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