Sunday, February 3, 2019

तो यह होता है इंटरव्यू (साक्षात्कार)?

तो यह होता है इंटरव्यू (साक्षात्कार)?

यह बीच का व्यू है! फिल्म की इंटरवल की तरह इंटर-व्यू ! पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!
कर दिया आपने, प्रस्तावना, प्रतिवेदन और उल्लेख ! समझ गए आप! जी हाँ, मैं आपके रिज्यूमे या बायो डाटा की बात कर रहा हूँ.
व्यक्ति और व्यक्तितव एक ओर और दूसरी ओर उस संभावना जिसे हम जॉब कहते हैं से रु-बरु होने के मध्य का क्रम है इंटरव्यू! यहाँ आपका पहला चैलेंज है, यह "साक्षात्कर्ता "! आप पेश होते हैं, वह प्रकट होता है! प्रगट भयाला , दीन  दयाला! एक ब्लाइंड डेट की तरह , सिलसिला शुरू होता है, एक -दूसरे को इम्प्रेस करने का! सिर्फ अच्छी बातें, सुनहरे ख़याल , लम्बी फेंक , कुछ तुम लपेटो, कुछ हम लपेटें! सच, न तुम सुन सकोगे , न मुझमें इसकी ख़्वाहिश !
रहने दो, आज वक़्त नहीं है, मेरी शायरी का, अज़ीब दोस्तों की दास्तानों का, मेरी बेबसी, मजबूरियों का, उन कड़वे अहसासों का, सीने में दफन कुछ अरमानों का.
यह, इंटरव्यू है ज़नाब , आईये सिर्फ अच्छी बातें करें. क्या कहा, ज़मीर-ईमान ? वह तो दरवाज़े के बाहर छोड़ आया मैं, समेट लूँगा जाते वक़्त! उसे भी अब इस बेवफाई की आदत सी हो गयी है.
काश तुम पूछ लेते मेरे दोस्तों से, कि मैं कौन हूँ! तुम उनसे पूछते हो , जो नहीं जानते मैं कौन हूँ. वो जो जानते हैं, उसमे "मैं" नहीं हूँ! वो मेरी कीमत है, वह मेरा काम है.
इस एप्लीकेशन के फोटो में जो इंसान है, यह वही है, जिसने बचपन में ही सरोकार सीख लिया था. उसने अपनी हर स्कूल टीचर को यही कहा कि  वह उसकी फेवरेट टीचर है!
रही, इस इंटरव्यू की बात, तो यकीन मानिये, यह मेरा आज तक का सबसे अच्छा इंटरव्यू अनुभव था.
बचपन में, सुने एक बीबीसी इंटरव्यू का वह जुमला याद आ गया, चिपका देता हूँ . "यूँ तो औपचारिकता में कहते हैं, आपसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई, पर सच, आपसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई."

ये, कविता नहीं है. यह छोटी सी इंस्पिरेशन है जो मैंने लिंकेडीन पर गुरलीन बरुआह की अंग्रेजी कविता से ली है. 

No comments:

Post a Comment

मैं मिशेल हूँ !

मैं मिशेल हूँ !  आपने मेरी तैयारी तो देख ही ली है, राइडिंग बूट, हेलमेट,इत्यादि.  मैं इन्विंसिबल नहीं हूँ !  यह नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मून लैंड...