Friday, January 27, 2017

गजोधर भैया ठीक ही कहते हैं, नौकरी जुगाड़ से मिलती है


गजोधर भाई कह रहे थे  ,नौकरी ढूंढने से नहीं, जुगाड़ से मिलती है. मेरे कुछ दोस्त काफी समय से नौकरी ढूढ़ रहे हैं, हर तरह की कसरत-आजमाईश, दुआ-दरगाह, किसी ने कोई कमी नहीं छोड़ रखी है. सीईओ से ले कर सीबीआई तक की पैरवी लगा रखी है, पर किश्मत है की अंगद की तरह  पैर जमा कर हिलने का नाम नहीं लेती. तंत्र, मंत्र, माला, रुद्राक्ष, ताबीज़ , यन्त्र , रत्न, धातु, बाबाजी की बूटी, सब आजमा लिया पर नौकरी नहीं मिल रही. 
जैसे बैटरी की लाइफ होती है, किस्मत की भी लाइफ होती है. आपकी बैटरी Image result for duracellduracell है तो फिर लंबी चलेगी.

गजोधर भैया ठीक ही कहते हैं, नौकरी जुगाड़ से  मिलती है. सेटिंग करने से मिलती है. साली यह तो डॉन  हो गई जिसको ११ मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही है...  
२००० का डॉट कॉम बस्ट, २००८ का ग्रेट डिप्रेशन कुछ लैंडमार्क हैं, जिस पर जॉब मार्किट की तश्वीर को बदलने का बड़ा कलंक लगा है. २००० का डॉट कॉम बस्ट डिजिटल के लिए एक समय से पहले आने का झटका था.  अच्छी  सोच पर शायद दुनिया इसके लिए अभी तैयार नहीं थी.
२००८ ने अमेरिका के सब प्राइम क्राइसिस को सामने ला खड़ा किया, इनफ्लैटेड रियल एस्टेट, unsecured लोन्स, करप्शन की पराकाष्ठा. जितने बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के नाम, उतने शर्मनाक हरकत. २००० का डॉट कॉम बस्ट टेक्नोलॉजी की एक फेलियर थी, २००८ करैक्टर की जबरदस्त पतन. २००८ ने हवाई किले की सच्चाई उजागर कर दी. लोग डर गए, नौकरी गयी तो ज़िन्दगी गई, इसे बचा लो, चाहे किसी कीमत पर, फिर शुरू हुआ सेटिंग का धंधा, coterie , cartel , जुगाड़, भाई-  भतीजा वाद, जात वाद, प्रान्त वाद. दौर शुरू हुआ  अदृश्य बिज़नस प्रैक्टिसेज का, अंडरवर्ल्ड की तरह, सब कुछ अंदर ही अंदर. कम्पनियाँ, जात -प्रान्त के छावनियों  तब्दील होने लगीं. जिसे जहां मौका मिला अपना तबेला बना लिया।  मुन्नियां बदनाम होती गयी, शीलाएं अपनी जवानियाँ भुनाने लगीं. ठेकेदार, दुकानदार कंपनियों में घुस आये, सब एक षड़यंत्र सा पर camouflaged !
ऊपर-ऊपर सब कुछ सामान्य सा दीख रहा था, पर अंदर ही अंदर एथिक्स और वैल्यूज समाप्त होते गए. जहां वैल्यूज नहीं हैं, वहां सिर्फ करप्शन और डिक्लाइन ही बचता है.
डिसइंटेग्रेटेड बिज़नस फूंक्शन्स, साइलोड फूंक्शन्स और उन प्राइवेट fiefdom  में 'छत्रप' की अपनी सरकार, अपना हरम , हरम की हिफाज़त के लिए हिजड़े बहाल होते गए. 
अब भाई , नौकरी पानी है, या बदलनी है तो हिजड़ों से संपर्क करें, हरम की मल्लिका से संपर्क करें, काम हो जायेगा.
२००८ के बाद , हिजड़ों का, @#डियों का दौर चल पड़ा है, अगर आप दोगली बात कर सकते है, दोगला चरित्र है आपका तो, आपकी तरक्की निश्चित है.
ऐसा नहीं है कि काबिल लोग नहीं रहे या उनकी कुछ चलती नहीं, पर भाई, हनी ट्रैप में अब उनका भी बॉस फंसा है. पेटीकोट गवर्नमेंट है भाई.

कबीर ने कहा है ; "जात -पात पूछे नहीं कोई, हरी को भजे सो हरी का होइ. ". आज हालात उल्टी है, ज्यादातर जगह में जात -पात है. हायरिंग मेनेजर या बॉस की पर्सनल कम्फर्ट है. रंगे सियार बहाल होते गए, फिर कैरेक्टर भी एक ही है, वैल्यूज की कोई क्लेश नहीं है. 

पहले मैं कहता था, नौकरी चाहिए, तो प्रोफेशनल प्रोफाइल बनाइये, LinkedIn पर नेटवरकिंग कीजिये, ऑनलाइन प्रोफेशनल ब्लॉग लिखे, ऑनलाइन कम्युनिटी के मेंबर बने. अपनी इनफ्लएंस बनाये, टैलेंट से, पर अब  ,कहता हूँ, पब और डिस्को जाएँ, सोशल प्रोफाइल बनाएं, socialize करें, और फिर आपका करियर चमकेगा ! जैक डैनिएल्स, हुक्का  पार्टी, और आपकी सेटिंग हो जाएगी, यही एक ग्रुप है, जिसकी कोई जात नहीं है, यहां, सभी की जात दारु, हुक्का, पार्टी और आफ्टर पार्टी है. यह नुश्खा आजमाएं और मन चाही नौकरी पाएं.


Tuesday, January 3, 2017

CHRO सिर्फ बिज़नस से! क्या कहते हैं आप?

हर कोई सच तो बोल नहीं सकता पर मृत्यु सैया पर का इंसान, फांसी के वक़्त का कैदी और कंपनी में अपनी अंतिम साँसें गिनता मानव संसाधन विभाग का पुराना अधिकारी सच बोलते पाए जाते हैं. दर्द जब हद से बढ़ जाए तो अफसाना बन जाता है और फिर राग दरबारी दिल से चीख की तरह निकलते हैं.
वह सच जो पति और पत्नी बुढापे के तलाक के वक़्त बोलते /कबूलते हैं, बच्चे अपनी केयर टेकर से बोलते हैं, दारु पीने वाला अपने दारूबाज दोस्त से पीते वक़्त बोलता है, सब सच हैं जो दिल से निकलते हैं.

LinkedIn पर कुछ लोग ऐसे सच बोलते दिखते हैं. मुझे हाल ही में पता चला कि , Laszlo Bock
(former SVP of People Operations and Senior Advisor at Google; author of "Work Rules!"​) ने गूगल छोड़ दी है. १० साल की लंबी करियर थी गूगल में इनकी. इनके लिंकेडीन पर लिखे सारे पोस्ट कमाल के हैं. आप पढ़ सकते हैं.
गूगल के काफी सारे प्रतिमान खड़े किये हैं, मानव संसाधन के क्षेत्र में भी अनेक नेक काम किये गए. सबसे अच्छी बात जो गूगल के रिक्रूटमेंट की मुझे लगी, वह है , हायरिंग मेनेजर का हायरिंग से बाहर रहना. अब आप पूछेंगे की क्या यह सभी पोसिशन्स के लिए होता है या सिर्फ वहाँ , जहां पर्सनल कम्फर्ट की कोई जगह नहीं है. क्या मानव संसाधन के लोग भी बिना हायरिंग मेनेजर से मिले बगैर बहाल हो जाते हैं? अगर ऐसा है तो फिर ठीक है, वरना गवर्नेंस की अगर सबसे ज्यादा क्षति कहीं होती दिखती है तो वह है, मानव संसाधन विभाग. मैं समझता हूँ Laszlo Bock ने हायरिंग को पर्सनल कम्फर्ट से बाहर रखने में अहम् भूमिका निभायी है. मुश्किल यह है कि Laszlo Bock को लिंकेडीन पर इंफ्लूऐंसर बैज मिला हुआ है, तक़रीबन ५.६ लाख लोग इन्हें फॉलो करते हैं, पर कोई अन्य मानव संसाधन का लीडर इनकी तरह का कड़ा कदम नहीं उठा पाता. दोष किसका है?

क्या भारत में कोई Laszlo Bock है? क्यों भारत में कोई HR वाला लिंकेडीन इंफ्लुएंसर नहीं है? जरा सोचिये!
बिज़नस की डायरेक्ट रिस्पांसिबिलिटी किसी भी HR वाले के पास नहीं है! HR कंसल्टिंग को छोड़ दें तो. कंपनी के बोर्ड में शायद किसी HR वाले के पास सीट है. सभी CEO की छत्रछाया में , ट्विटर पर , लिंकेडीन ,  कंपनी के मीडिया अपडेट सिर्फ शेयर करते देखे जी सकते है, या फिर १४० वर्ड्स में कुछ हैशटैग के साथ बस्सी , उबासी लेती , उलटी करती सी प्रवचनात्मक मुद्रा में शब्द-जाल . कोई भीं CHRO कम्पनी का स्पोक्स-पर्सन नहीं है. मीडिया में किसी की कोई डायरेक्ट भूमिका नहीं है. सभी अमर सिंह और जया प्रदा भर हैं. CHRO कंपनी की करियर एंड सक्सेशन प्लानिंग के लिए जिम्मेवार होते हैं, पर उन्हें यह पता ही नहीं होता उसकी जगह कौन , कब ले रहा है! एक CHRO यह पब्लिकली नहीं बता सकता इसका जवाब! मुझे लगता हैं, Laszlo Bock नें अपने एग्जिट के बाद कोई सक्सेसन  प्लानिंग के तहत अपना पोजीशन किसी को दिया. Eileen Naughton को Laszlo की जगह  Vice President People Operations at Google बना दिया गया है. एलीन Managing Director and VP, UK-Ireland Sales & Operations थीं , सेल्स और ऑपरेशन्स , मीडिया का अनुभव उन्हें है, अब HR . इसको कहते हैं प्लानिंग या नो प्लानिंग पर राईट डिसिशन. इंडिया में न तो कोई HR वाला बिज़नस रोले में जाता है या लिए जाता है ,  न ही कोई बिज़नस वाला HR का टॉप बॉस बनता है. कुछ अपवाद है, इनफ़ोसिस के  मोहनदास पाई और KPMG की शालिनी पिल्लई।  दोनों ही चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और बिज़नस के लोग रहे हैं. HR को अपनी औकात नापनी हो तो उन्हें बिज़नस रोल के लिए इंटरनल जॉब्स के लिए इंटरव्यू के लिए बुलाना चाहिए. HR अपने लिए HR बिज़नस पार्टनर जैसा टाइटल रख लेता है! अगर सही में वह बुसिनेस का पार्टनर है तो उसे बिज़नस रोल में अपने आप को साबित करना चाहिए. अन्यथा  उन्हें नया आंदोलन चलना चाहिए, 'प्रोटेक्शनिज़्म! प्रोटेक्ट HR ! डाइवर्सिटी और इंक्लयूसिवनेस का छद्म अभिनय पुराना हो चला! प्रोटेक्शन मांगने का अभी फैशन स्टार्ट अप से चल पड़ा है. गूगल ट्रेंड सेट करता है, और एलिन ने सन्देश दे दिया है. CHRO सिर्फ बिज़नस से! क्या कहते हैं आप?

फ्लिपकार्ट में ही देख लीजिये, नितिन सेठ  , HR बॉस भी हैं और अब COO भी. सिर्फ HR करने वाले की जगह अब ऊपर के पोसिशन्स पर नहीं होगी! HR लीडर्स के लिए साइड डिश है, मैं डिश बिज़नस है. 
अब तो flipkart का कल्याण , कल्याण ही करेंगे. बंसल्स अब MBA में दाखिला ले लें, IIT उन्हें यहीं तक ला सकता था, इसमें अब तक math था, अब बिज़नस है, फाइनांस है. ऑपरेशन्स भी अब आईआईएम वाले नितिन सेठ को दे दिया गया है. कल्याण तो MBA हैं ही. आज मुझे MBA की सही वैल्यू पता लग रही है. 

मैं मिशेल हूँ !

मैं मिशेल हूँ !  आपने मेरी तैयारी तो देख ही ली है, राइडिंग बूट, हेलमेट,इत्यादि.  मैं इन्विंसिबल नहीं हूँ !  यह नील आर्मस्ट्रॉन्ग की मून लैंड...