Skip to main content

CHRO सिर्फ बिज़नस से! क्या कहते हैं आप?

हर कोई सच तो बोल नहीं सकता पर मृत्यु सैया पर का इंसान, फांसी के वक़्त का कैदी और कंपनी में अपनी अंतिम साँसें गिनता मानव संसाधन विभाग का पुराना अधिकारी सच बोलते पाए जाते हैं. दर्द जब हद से बढ़ जाए तो अफसाना बन जाता है और फिर राग दरबारी दिल से चीख की तरह निकलते हैं.
वह सच जो पति और पत्नी बुढापे के तलाक के वक़्त बोलते /कबूलते हैं, बच्चे अपनी केयर टेकर से बोलते हैं, दारु पीने वाला अपने दारूबाज दोस्त से पीते वक़्त बोलता है, सब सच हैं जो दिल से निकलते हैं.

LinkedIn पर कुछ लोग ऐसे सच बोलते दिखते हैं. मुझे हाल ही में पता चला कि , Laszlo Bock
(former SVP of People Operations and Senior Advisor at Google; author of "Work Rules!"​) ने गूगल छोड़ दी है. १० साल की लंबी करियर थी गूगल में इनकी. इनके लिंकेडीन पर लिखे सारे पोस्ट कमाल के हैं. आप पढ़ सकते हैं.
गूगल के काफी सारे प्रतिमान खड़े किये हैं, मानव संसाधन के क्षेत्र में भी अनेक नेक काम किये गए. सबसे अच्छी बात जो गूगल के रिक्रूटमेंट की मुझे लगी, वह है , हायरिंग मेनेजर का हायरिंग से बाहर रहना. अब आप पूछेंगे की क्या यह सभी पोसिशन्स के लिए होता है या सिर्फ वहाँ , जहां पर्सनल कम्फर्ट की कोई जगह नहीं है. क्या मानव संसाधन के लोग भी बिना हायरिंग मेनेजर से मिले बगैर बहाल हो जाते हैं? अगर ऐसा है तो फिर ठीक है, वरना गवर्नेंस की अगर सबसे ज्यादा क्षति कहीं होती दिखती है तो वह है, मानव संसाधन विभाग. मैं समझता हूँ Laszlo Bock ने हायरिंग को पर्सनल कम्फर्ट से बाहर रखने में अहम् भूमिका निभायी है. मुश्किल यह है कि Laszlo Bock को लिंकेडीन पर इंफ्लूऐंसर बैज मिला हुआ है, तक़रीबन ५.६ लाख लोग इन्हें फॉलो करते हैं, पर कोई अन्य मानव संसाधन का लीडर इनकी तरह का कड़ा कदम नहीं उठा पाता. दोष किसका है?

क्या भारत में कोई Laszlo Bock है? क्यों भारत में कोई HR वाला लिंकेडीन इंफ्लुएंसर नहीं है? जरा सोचिये!
बिज़नस की डायरेक्ट रिस्पांसिबिलिटी किसी भी HR वाले के पास नहीं है! HR कंसल्टिंग को छोड़ दें तो. कंपनी के बोर्ड में शायद किसी HR वाले के पास सीट है. सभी CEO की छत्रछाया में , ट्विटर पर , लिंकेडीन ,  कंपनी के मीडिया अपडेट सिर्फ शेयर करते देखे जी सकते है, या फिर १४० वर्ड्स में कुछ हैशटैग के साथ बस्सी , उबासी लेती , उलटी करती सी प्रवचनात्मक मुद्रा में शब्द-जाल . कोई भीं CHRO कम्पनी का स्पोक्स-पर्सन नहीं है. मीडिया में किसी की कोई डायरेक्ट भूमिका नहीं है. सभी अमर सिंह और जया प्रदा भर हैं. CHRO कंपनी की करियर एंड सक्सेशन प्लानिंग के लिए जिम्मेवार होते हैं, पर उन्हें यह पता ही नहीं होता उसकी जगह कौन , कब ले रहा है! एक CHRO यह पब्लिकली नहीं बता सकता इसका जवाब! मुझे लगता हैं, Laszlo Bock नें अपने एग्जिट के बाद कोई सक्सेसन  प्लानिंग के तहत अपना पोजीशन किसी को दिया. Eileen Naughton को Laszlo की जगह  Vice President People Operations at Google बना दिया गया है. एलीन Managing Director and VP, UK-Ireland Sales & Operations थीं , सेल्स और ऑपरेशन्स , मीडिया का अनुभव उन्हें है, अब HR . इसको कहते हैं प्लानिंग या नो प्लानिंग पर राईट डिसिशन. इंडिया में न तो कोई HR वाला बिज़नस रोले में जाता है या लिए जाता है ,  न ही कोई बिज़नस वाला HR का टॉप बॉस बनता है. कुछ अपवाद है, इनफ़ोसिस के  मोहनदास पाई और KPMG की शालिनी पिल्लई।  दोनों ही चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और बिज़नस के लोग रहे हैं. HR को अपनी औकात नापनी हो तो उन्हें बिज़नस रोल के लिए इंटरनल जॉब्स के लिए इंटरव्यू के लिए बुलाना चाहिए. HR अपने लिए HR बिज़नस पार्टनर जैसा टाइटल रख लेता है! अगर सही में वह बुसिनेस का पार्टनर है तो उसे बिज़नस रोल में अपने आप को साबित करना चाहिए. अन्यथा  उन्हें नया आंदोलन चलना चाहिए, 'प्रोटेक्शनिज़्म! प्रोटेक्ट HR ! डाइवर्सिटी और इंक्लयूसिवनेस का छद्म अभिनय पुराना हो चला! प्रोटेक्शन मांगने का अभी फैशन स्टार्ट अप से चल पड़ा है. गूगल ट्रेंड सेट करता है, और एलिन ने सन्देश दे दिया है. CHRO सिर्फ बिज़नस से! क्या कहते हैं आप?

फ्लिपकार्ट में ही देख लीजिये, नितिन सेठ  , HR बॉस भी हैं और अब COO भी. सिर्फ HR करने वाले की जगह अब ऊपर के पोसिशन्स पर नहीं होगी! HR लीडर्स के लिए साइड डिश है, मैं डिश बिज़नस है. 
अब तो flipkart का कल्याण , कल्याण ही करेंगे. बंसल्स अब MBA में दाखिला ले लें, IIT उन्हें यहीं तक ला सकता था, इसमें अब तक math था, अब बिज़नस है, फाइनांस है. ऑपरेशन्स भी अब आईआईएम वाले नितिन सेठ को दे दिया गया है. कल्याण तो MBA हैं ही. आज मुझे MBA की सही वैल्यू पता लग रही है. 

Comments

Popular posts from this blog

Astrology, life, career

Our ex-HRD minister,  Smriti Irani  was spotted meeting an astrologer in Rajasthan recently. Astrologer told, she will become the President of India. Her career is bright. We all know, he is right, since we saw Smriti move very fast from her daily soap avatar to the powerful central minister in Govt of India. She is still a minister , a Rajya Sabha MP and Minister of Textiles currently. Can all this happen to someone meteorically. She is an excellent orator. Well read and extremely logical person. She may not be a graduate but that does not matter. What MBTI and all other expensive psychometric tests could not tell me about my situation, my self-learning of vedic astrology unearthed for me. I regret, I did not learn astrology earlier. This is such a beautiful science. So much to learn. I am in kindergarten now. I am not superstitious. I know all myths are actually truths (My+Truths=Myths) I have been hired for a Central Govt's class 1, Gazetted officer role. Toppe...

यह वाक़या मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ कि मृत्यु की कोई ग्रह दशा नहीं होती

  लोग कुंडली क्यों दिखाते हैं?  अक्सर ऐसा तब होता है जब वो किसी प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ रहे होते हैं.  ज्यादातर यूट्यूब वीडियोस गोचर के आधार पर भविष्यफल बताते हैं और वह भी लग्न के अनुसार.  दशा के आधार पर भविष्यफल भी बताते हैं ज्योतिषगण यूट्यूब पर.  किसी भी प्रश्न का उत्तर आप सिर्फ किसी की कुंडली देख कर ही अनुमान से बता सकते हैं. कितना सत्य होगा भविष्य कथन यह नहीं कह सकता कोई भी एस्ट्रोलॉजर। आप दस तरीके से कुंडली के सभी पक्षों का आकलन करके भी कई चूक कर जाएंगे. कई बार उतने गहन आकलन की कोई ज़रूरत भी नहीं होती.  मैंने एक अच्छे एस्ट्रोलॉजर से पूछा था; आप कुंडली कैसे देखते हैं?  उनका जवाब सरल सा था; ग्रहों की स्थिति, शुभ अशुभ योग, दशा, राशि और घरों की स्थिति ,गोचर और डिविशनल चार्ट।  बस इतना ही काफी है. गोचर कई बार कोई विशेष प्रभाव नहीं डालते. कई अच्छे एस्ट्रोलॉजर गोचर को बहुत कम महत्व देते हैं. यहाँ तक कि शनि की साढ़े साती का भी वे प्रभाव नहीं मानते. मैं भी नहीं मानता गोचर को. गोचर बाहरी प्रभाव है. आप अगर ५० डिग्री तापमान में एयर कंडिशंड (AC ) कार में ज...

राम की शक्ति पूजा!-LEADERSHIP LESSONS

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ आधुनिक हिन्दी काव्य के प्रमुख स्तम्भ हैं। राम की शक्ति पूजा उनकी प्रमुख काव्य कृति है। निराला ने राम की शक्ति पूजा में पौराणिक कथानक लिखा है, परन्तु उसके माध्यम से अपने समकालीन समाज की संघर्ष की कहानी कही है। राम की शक्ति पूजा में एक ऐसे प्रसंग को अंकित किया गया है, जिसमें राम को अवतार न मानकर एक वीर पुरुष के रूप में देखा गया है, राम  विजय पाने में तब तक समर्थ नहीं होते जब तक वे शक्ति की आराधना नहीं करते हैं। "धिक् जीवन को जो पाता ही आया है विरोध, धिक् साधन जिसके लिए सदा ही किया शोध!" तप के अंतिम चरण में विघ्न, असमर्थ कर देने वाले विघ्न. मन को उद्विग्न कर देने वाले विघ्न. षड़यंत्र , महा षड़यंत्र. परंतु राम को इसकी आदत थी, विरोध पाने की और उसके परे जाने की. शायद इसी कारण उन्हें "अवतार " कहते हैं. अवतार, अर्थात, वह, जिसने मानव जीवन के स्तर को cross कर लिया है. राम सोल्यूसन आर्किटेक्ट थे. पर सिर्फ  सोल्यूसन  आर्किटेक्ट साधन के बगैर कुछ भी नहीं कर सकता. साधन शक्ति के पास है. विजय उसकी है जिसके साथ शक्ति है.   जानक...