Thursday, January 18, 2018

असर संस्थान अग्रसर है; रिपोर्ट कम असर!

ANNUAL STATUS OF EDUCATION REPORT 2017

यह रिपोर्ट सही है पर जिस बियॉन्ड बेसिक्स की तलाश ग्रामीण इलाकों में की गयी है, वह शहरी विकास की कसौटी पर तय की जा सकती है. ग्रामीण  इलाकों में, युवक पढ़ भी गया तो भी सिर्फ २% सरकारी नौकरी पाते हैं , बाकी बेरोज़गार या फिर काम चलाऊ आधी-अधूरी मज़दूरी नुमां प्राइवेट नौकरी ! अगर तरीके से खेती कर लें, बकरी, भेकड, सूअर, मुर्गी, पाल लें तो ज़्यादा सम्मान से जियेंगे. उनकी मज़बूरियों को समझें।  आर्मी के भर्ती में, हज़ारों पढ़े लिखे रेलम पेल में पिस जाते हैं. १००० में से ५ को नौकरी मिलती है, क्या करेंगे पढ़ कर?  

असर संस्थान अग्रसर है, प्रगति पथ पर! 2017 का असर रिपोर्ट 14 से 18 वर्ष के बच्चों पर आधारित है, जिन्होंने प्रारंभिक शिच्छा पूर्ण कर ली है. असर 2017 सर्वेक्षण में पढ़ने तथा गणित  करने की बुनियादी क्षमता से आगे,अर्थात बियॉन्ड बेसिक्स डोमेन शामिल हैं . इसमें चार डोमेन शामिल है– गतिविधि , क्षमता, जागरुकता और आकांछाएँ .

The survey for the Annual Status of Education Report for rural India in 2017 was carried out in 28 districts spread across 24 states

ASER stands for Annual Status of Education Report. This is an annual survey that aims to provide reliable estimates of children's enrolment and basic learning levels for each district and state in India.ASER has been conducted every year since 2005 in all rural districts of India. It is the largest citizen-led survey in India.

21% Of India’s Youth Don’t Know The State They Live In; Preparation For Adult Life ‘Worryingly Low’: ASER

ASER survey shows 36% of kids aged 14-18 don’t know India’s capital, 21% can’t name their state!


76% of surveyed youth could count money correctly and this figure was close to 90% for those who have basic arithmetic skills. Most of them could also read the time correctly.
अब हम अगर ऊपर के चित्र के 4 सवाल हल करें तो हमें वज़न और रुपयों को सिर्फ़ जोड़ना है, जो कि तीसरी जमात में पढ़ाया जाता है ! घड़ी के काँटों का हिसाब भी जोड़ ही है ! यहाँ तो छात्र ठीक कर रहे हैं. वैसे किसी भी क्लास में 15 % बेवक़ूफ़ होंगे ही. 

रही बात प्रैक्टिकल होने की तो इनका दिमाग सही चल रहा है. अगर इन्हे देश की राजधानी नहीं मालूम तो क्या फर्क पड़ता है? 

असर को समझना होगा की ज्ञान 3 माध्यम से आता है ; फॉर्मल एजुकेशन यानि संस्थागत पढ़ाई-लिखाई , एक्सपोज़र यानि , देख समझ कर आया अनुभव, दूसरों को, देखकर सीखा और समझा अनुभव और तीसरा , आत्म-अनुभव , यानि स्वयं  के कृत्य से पाया अनुभव ! ग्रामीण इलाकों में, एक्सपोज़र और अनुभव की कमी है, क्योंकि , इसमें संसाधन लगते हैं. न वो मॉल्स में जाते हैं, न उनके पास टी शर्ट डिस्काउंट पर खरीदने के पैसे हैं, न उन्हें पता है कि 900 रुपये के टी शर्ट पर 15% डिस्काउंट के  बाद कितना दाम पड़ेगा! 
हमारे बुज़ुर्ग कहते थे; लड़का पढ़ाइये या फिर शहर घुमाइए ; ज्ञान दोनों ही तरीकों से बराबर आता है. संपूर्ण शिक्षा गतिविधि , क्षमता, जागरुकता और आकांछाएँ , सिर्फ़ एजुकेशन की ही नहीं, एक्सपोज़र और एक्सपीरियंस की भी विषय वस्तु है. 

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